सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने कहा कि आतंकी बलवंत सिंह राजोआना(Balwant Singh Rajoana) की फांसी माफी की मांग पर मार्च में विचार करेगा अगर केंद्र सरकार पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी राजोआना की दया याचिका पर फैसला नहीं लेती. सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने 18 नवंबर को राष्ट्रपति के सचिव से कहा था कि वह दया याचिका की फाइल को दो सप्ताह में राष्ट्रपति के सामने पेश करें. अब जस्टिस बी आर गवई, प्रशांत कुमार मिश्रा और के वी विश्वनाथन की बेंच ने एक बार फिर केंद्र सरकार को दो महीने का समय दिया है.
फांसी की सजा माफी के लिए राजोआना ने राष्ट्रपति से की अपील
Balwant Singh Rajoana को 1995 में पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या का दोष लगाया गया है. वह 29 साल से जेल में है और राष्ट्रपति के पास 12 साल से एक दया याचिका लंबित है. इसलिए अब उसकी फांसी माफ कर उम्र कैद में बदल दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 3 मई 2023 को राजोआना की फांसी को उम्र कैद में बदलने से मना कर दिया. कोर्ट ने राजोआना की दया याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से जल्द फैसला लेने को कहा. अब एक बार फिर, राजोआना की दया याचिका के निपटारे में हो रही देरी के आधार पर फांसी को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की है.
बेअंत सिंह की हत्या में राजोआना का अहम रोल
पंजाब पुलिस का पूर्व कांस्टेबल बलवंत राजोआना आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा था. 31 अगस्त 1995 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या हुई थी. 1 अगस्त 2007 को चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआइ अदालत ने राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी. दूसरे आतंकियों के अलावा बलवंत और दिलावर सिंह भी शामिल थे. दिलावर ने आत्मघाती बम विस्फोट कर बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या कर दी थी, जबकि दिलावर के बैकअप के रूप में राजोआना घटनास्थल से भाग गया था.
बलवंत 22 दिसंबर 1995 को गिरफ्तार किया गया था और 2007 में उसे निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी. 2010 में हाई कोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था. बलवंत ने खुद दया याचिका नहीं दी, लेकिन 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेज दी, जिससे फांसी पर रोक लग गई, लेकिन अब तक दया याचिका पर फैसला नहीं हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट से राजोआना ने की थी राहत की मांग
2019 में गुरु नानक की 550 वीं जयंती पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को उम्र कैद में बदलने की घोषणा की, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक आदेश नहीं आया. पिछले साल राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट से राहत की मांग की थी. केंद्र सरकार ने उस मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब की कानून व्यवस्था के लिहाज से इसे बहुत महत्वपूर्ण मामला बताया था और कोर्ट से अनुरोध किया था कि कोर्ट इस पर कोई आदेश न दे.
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