कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाई सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिका को राहत दी है। कोर्ट ने सवाल किया कि वर्ग 1 की शिक्षिका को वर्ग 2 में कैसे ट्रांसफर किया जा सकता है? हाईकोर्ट ने इस बाबत राज्य शासन को उचित कार्रवाई करते हुए शिक्षिका को उसके वर्ग के अनुसार स्कूल आवंटित करने की बात कही है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता शिक्षिका को उनके प्रिंसिपल रहते हुए अन्य शिक्षिकाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के विषय में भी जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। 

दरअसल, याचिकाकर्ता शिक्षिका सरिता तोमर की साल 2010 में उच्चतर माध्यमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त हुई थी। जिसके बाद साल 2018 में उन्हें हरदा के उत्कृष्ट स्कूल (स्कूल ऑफ एक्सीलेंस) में प्रभारी प्राचार्य का काम दिया गया। सरिता तोमर ने प्रभारी प्रिंसिपल रहते हुए 3 शिक्षिकाओं के खिलाफ काम में लापरवाही, फीस में अनियमितता को लेकर कार्यवाही की थी। 3 महिला शिक्षिकाओं के खिलाफ कार्रवाई करने पर सरिता तोमर को धमकियां मिलने लगी। 

सरिता तोमर ने इस बात की शिकायत जिले के एसपी को भी की, शिकायतों पर कार्यवाही करना तो छोड़, उल्टे संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी हरदा ने उन्हें साल 2024 में उत्कृष्ट विद्यालय हरदा से हटाकर उनका तबादला हाई स्कूल नगर पालिका हरदा में कर दिया। महिला शिक्षिका सरिता ने जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट पंकज दुबे ने हाईकोर्ट में दलित दी कि आखिर कैसे वर्ग एक की शिक्षिका को जो 11वीं, 12वीं की क्लास पढ़ा रही हो, उसका डिमोशन कर हाई स्कूल यानि वर्ग 2 में  में हरदा ट्रांसफर कर दिया गया। याचिकाकर्ता के वकील पंकज दुबे ने यह भी पक्ष रखा कि उन्हे सजा के तौर पर हाई स्कूल नगर पालिका में भेजा गया, जबकि शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इसके बाद कोर्ट ने सारी दलीलों को सुनते हुए न केवल याचिकाकर्ता शिक्षिका को उनके पद के हिसाब से स्कूल में तैनाती के आदेश दिए, बल्कि की गई कार्रवाई पर भी उचित जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए।

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