Who Is Shehla Rashid: देशद्रोह के मामले में जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद (Shehla Rashid) को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने साल 2019 के देशद्रोह मामले में शेहला रशीद के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने की दिल्ली पुलिस की अर्जी स्वीकार कर ली है। अदालत ने शेहला रशीद के खिलाफ मामला वापस लेने की दिल्ली पुलिस को अनुमति दे दी है। इसी के साथ ही शेहला रशीद के खिलाफ देशद्रोह का मामला खत्म होने का रास्ता साफ हो गया है।
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पुलिस सूत्रों के अनुसार मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अनुज कुमार सिंह ने 27 फरवरी को अभियोजन पक्ष की ओर से दायर एक आवेदन पर ये आदेश पारित किया। आवेदन में कहा गया था कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शेहला पर मुकदमा चलाने के लिए दी गई अपनी मंजूरी वापस ले ली है। ये मामला देशद्रोह, धार्मिक और सामाजिक आधार पर दुश्मनी भड़काने, दंगे भड़काने जैसे आरोपों के तहत दर्ज किया गया था, जिनमें अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
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शेहला एक सोशल एक्टिविस्ट भी हैं। समय-समय पर शेहला महिलाओं और कश्मीरियों के लिए आवाज उठाती रही हैं। शेहला रशीद पर साल 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया गया था, इसी समय उन्होंने भारतीय सेना को लेकर ट्वीट किए थे। इसी के बाद उनके ऊपर देशद्रोह का मामला चलाया गया था।
कौन हैं शेहला रशीद?
शेहला रशीद एक सोशल एक्टिविस्ट हैं। उनका जन्म जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हुआ है। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीनगर से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने एचसीएल में सोफ्टवेयर इंजीनियरिंग की। समय-समय पर शेहला महिलाओं और कश्मीरियों के लिए आवाज उठाती रही हैं। एम.ए करने के लिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का रुख किया था। जेएनयू से उन्होंने सोशियोलॉजी में एम.ए किया, फिर एमफिल किया और उसी के बाद पीएचडी भी की। शेहला कश्मीर में लोगों के हक के लिए आवाज उठाती रही हैं। साल 2010 में उन्होंने कश्मीर का यूथ लीडरशिप प्रोग्राम शुरू किया था।
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सितंबर 2015 में उन्होंने वामपंथ समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के उम्मीदवार के रूप में जेएनयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ा और एबीवीपी की उम्मीदवार वेलेंटीना ब्रह्मा को 200 से अधिक वोटों से हराकर जीत हासिल की। शेहला जेएनयू में छात्र संघ चुनाव जीतने वाली पहली कश्मीरी महिला थीं। साथ ही वो JNUSU की लीडर भी रही हैं। शेहला रशीद ने राजनीति में भी किस्मत आई. उन्होंने पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) में शामिल हो कर सियासी पारी की शुरुआत की थी।. हालांकि, अब उन्होंने इससे इस्तीफा दे दिया है।
भारतीय सेना पर लगाए थे गंभीर आरोप
18 अगस्त 2019 को शेहला रशीद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ( पूर्व ट्विटर) पर दावा किया था कि भारतीय सेना कश्मीर में स्थानीय लोगों के घरों में घुसकर उन्हें प्रताड़ित कर रही है। सेना ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले को गंभीर मानते हुए उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था।
भारतीय सेना ने आरोपों का किया था खंडन
भारतीय सेना ने शेहला रशीद के आरोपों का खंडन करते हुए इसे झूठ करार दिया था। इस पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आईपीसी (IPC) की धारा 124A, 153A, 153, 504 और 505 के तहत मामला दर्ज किया था।
अब आर्टिकल 370 हटाने का समर्थन और मोदी सरकार की तारीफ करती हैं
शेहला रशीद हमेशा से विवादों में रही हैं. 2016 में वह कथित तौर पर ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का हिस्सा बताई गई थी जब जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी के आरोप लगे थे। उस समय जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की गिरफ्तारी भी हुई थी। हालांकि छात्रों ने इन आरोपों से इनकार किया था। शेहला ने छात्रों के प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन करते हुए सरकार और पुलिस की नीतियों की खुलकर आलोचना की थी। हालांकि, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद शेहला की ओर से मोदी सरकार के कामों की तारीफ की जाती रही है।
उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद हटे आरोप
आवेदन में बताया गया कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश को मंजूरी देते हुए 23 दिसंबर 2024 को मुकदमा चलाने की अनुमति रद्द कर दी थी। शेहला के खिलाफ 2019 में नई दिल्ली के स्पेशल सेल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई थी। ये शिकायत अलख आलोक श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति ने दर्ज कराई थी। शेहला पर आरोप था कि उन्होंने अपने ट्वीट्स के जरिए अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।
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