इमरान खान, खंडवा। रंगों के त्यौहार ‘होली’ पर मोटी कमाई करने के लिए बाजारों में केमिकल वाले कलर बेचे जा रहे हैं। लेकिन इनसे बचाने के लिए खंडवा में स्व सहायता समूह की ओर से हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। इसकी डिमांड इतनी है उत्तर प्रदेश से भी इसके ऑर्डर मिले हैं। आगरा की कंपनी ने 400 किलो गुलाल खरीदा है।

महिलाओं की आय का बना साधन

खंडवा के खालवा ब्लॉक में स्व सहायता समूह ने पहली बार चुकंदर, देसी हल्दी, मोरिंगा की कच्ची पत्तियों से होली के लिए हर्बल कलर तैयार किया है। हर्बल कलर के निर्माण से ना केवल समूह को दोगुना लाभ हुआ बल्कि उनकी आय का अन्य साधन भी बन गया।

हल्दी और पलाश के फूलों से तैयार किया गया है हर्बल कलर 

हर्बल रंग तैयार करने वाली महिलाओं का कहना है कि अभी तक बाजार में सिंथेटिक कलर होते थे। लेकिन इस बार हल्दी और पलाश के फूलों से हर्बल कलर तैयार किया गया है, जो पहला सफल प्रयास है। इसके कलर का त्वचा पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। 

इस तरह होता है तैयार

स्व सहायता समूह खालवा, पंधाना ओर खंडवा की महिलाओं के समूह ये हर्बल रंग तैयार किया है। जिसमें चुकंदर का रस, देसी हल्दी, मोरिंगा की कच्ची पत्तियों को बारीक पीसकर उसे उबाला और उसका अर्क निकालकर कलर तैयार किया। कच्चे माल के रूप में अरारोट का उपयोग किया गया। समूह ने  मिलकर 4 क्विंटल कलर तैयार किया है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H