अमित पांडेय, डोंगरगढ़. एक ओर जहां पूरा प्रदेश भीषण गर्मी से जूझ रहा है, गांव-गांव में पीने के पानी के लिए त्राहिमाम मचा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी हैंडपंपों से विभागीय अधिकारियों की जानकारी और संरक्षण में खेतों की सिंचाई की जा रही है। यह मामला राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ जनपद पंचायत में आने वाले ग्राम भोथली का है, जहां कलेक्टर के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए सरकारी बोर से निजी फसलें सींची जा रही है।
भोथली गांव के कई सरकारी बोर या हैंडपंप में निजी पंप फिट है और उससे खुलेआम खेतों में पानी दिया जा रहा है। भीषण गर्मी में जहां आम ग्रामीण पीने के पानी के लिए जूझ रहे हैं, वहीं कुछ रसूखदार सिस्टम की लाचारी का फायदा उठाते हुए अपने खेतों में सरकारी बोर से सिंचाई कर रहे हैं।


ग्रामीणों की शिकायत पर चेतावनी देकर लौट जाते हैं अफसर
मामले की तह में जाने पर और चौकाने वाला नजारा सामने आया, ये सारे पंप चोरी-छिपे नहीं, बल्कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग यानी पीएचई के कर्मचारी और अधिकारियों की सहमति से लगाए गए हैं। विभाग के कर्मचारी खुद स्वीकारते हैं कि आसपास के कई गांवों में भी यही व्यवस्था है वो भी एसडीओ स्तर के अधिकारी की सहमति पर यह व्यवस्था की गई है। वहीं गांव के लोगों का कहना है कि इस मामले को लेकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह जाती है। अधिकारी आते हैं, मौखिक चेतावनी देकर लौट जाते हैं और सिस्टम वहीं का वहीं लाचार और बेबस नजर आता है।
जांच कर उचित कार्रवाई करेंगे : एसडीएम
डोंगरगढ़ के एसडीएम मनोज मरकाम ने मीडिया के सवाल पर कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी अब मिली है। जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। एक तरफ जहां जिला प्रशासन जलस्तर को लेकर अलर्ट जारी करता है, नए बोर खनन पर रोक लगाता है, गर्मी में धान न लगाने की अपील करता है, वहीं उन्हीं के अधीन कर्मचारी और अधिकारी इस आदेश को नजरअंदाज करते हुए निजी फायदे में लगे हैं। ऐसे में अब सवाल ये है कि क्या प्रशासन इस मामले में वाकई कोई कार्रवाई करेगा या ये भी एक और खानापूर्ति बनकर रह जाएगा? क्या सरकारी बोर से बहता पानी सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए ही है, जबकि बाकी जनता को बूंद-बूंद के लिए संघर्ष करना पड़ रहा?
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