प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। कबीरधाम जिले ने जल संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. जिले में चल रहे “मोर गांव – मोर पानी” महाअभियान ने दो वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. आज जिलेभर में एक दिन में 1 लाख से अधिक सोख्ता गड्ढे खोदकर और 1 लाख से अधिक लोगों द्वारा जल संरक्षण की शपथ लेकर यह जनांदोलन विश्व स्तर पर मिसाल बन गया.

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इस महाअभियान की अगुवाई खुद कलेक्टर गोपाल वर्मा ने की, जिन्होंने ग्राम लालपुर पहुंचकर ना सिर्फ निरीक्षण किया, बल्कि स्वयं फावड़ा उठाकर गड्ढा खोदा और उसमें ईंट के टुकड़े डालकर लोगों को श्रमदान के लिए प्रेरित किया.

जनभागीदारी बनी अभियान की ताकत

जिले के कवर्धा, पंडरिया, बोड़ला, सहसपुर लोहारा सहित सभी ब्लॉक और नगरीय निकायों में जनभागीदारी देखने को मिली. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी वर्गों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी दी और अपने घरों, खेतों और सार्वजनिक स्थानों पर श्रमदान कर सोखता गड्ढों का निर्माण किया.

भविष्य की जल सुरक्षा की नींव

इस अभियान के तहत बनाए गए गड्ढों की मदद से 2,000 से लेकर 3,500 लाख लीटर वर्षा जल जमीन में रिसने की क्षमता विकसित होगी, जिससे गिरते भूजल स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी. कलेक्टर वर्मा ने ग्रामवासियों को जल संरक्षण की शपथ दिलाते हुए इसे दैनिक जीवन में शामिल करने की अपील की. उन्होंने कहा, “हर घर में एक गड्ढा, जल जीवन की गारंटी बन सकता है.”

बिना सरकारी खर्च, बना रिकॉर्ड

इस महाअभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि यह पूरी तरह जनसहभागिता पर आधारित था, और इसमें कोई शासकीय व्यय नहीं किया गया. यह अपने आप में एक अनुकरणीय उदाहरण है कि समाज एकजुट होकर किसी भी संकट से निपटने के लिए कितना सक्षम है.

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज

इस कार्य को लेकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एशिया हेड डॉ. मनीष बिश्नोई भी विशेष रूप से उपस्थित रहे. उन्होंने जिले के इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे देशभर के लिए आदर्श मॉडल बताया और मौके पर ही वर्ल्ड रिकॉर्ड की आधिकारिक घोषणा की.

जल संकट की चुनौती से निपटने का प्रयास

कलेक्टर गोपाल वर्मा ने कहा कि यह अभियान जल संकट की चुनौती से निपटने का जनसशक्त प्रयास है, जो आने वाले समय में जिले की जल संरचना को मजबूत बनाएगा. वहीं गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स एशिया हेड डॉ. मनीष बिश्नोई ने कहा कि कबीरधाम की यह पहल पूरे देश के लिए मिसाल है. इतने बड़े स्तर पर बिना सरकारी खर्च के जनसहयोग से जल संरक्षण करना अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है.