विक्रम मिश्र, लखनऊ. ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इटावा में गैर-ब्राह्मण कथावाचकों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक रूप से कथा कहने का अधिकार सिर्फ ब्राह्मण को है. उनके मुताबिक शास्त्रों के अनुसार सभी जातियों को कथा सुनाने के लिए ब्राह्मण ही उपयुक्त हैं.
बता दें कि दो दिन पहले ही इटावा में एक अन्य पिछड़ी जाति के एक कथावाचक के साथ बदसलूकी की खबर आई थी. जिसके बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिकेश यादव ने इस मामले को पुरजोर तरह से उठाया था. हालांकि इसमें दो महिलाओं के भी बयान सामने आए हैं जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि कथावाचक कथा कार्यक्रम में महिलाओं को लेकर अभद्र व्यवहार कर रहे थे. इस पर सामूहिक तौर पर उनका मुंडन करवाया गया था. लेकिन अब शंकराचार्य के इस बयान के बाद राजनीति और तेज होनी लाजमी है.
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मामले को लेकर सपा मुखिया ने कहा कि हमारा संविधान जातिगत भेदभाव की अनुमति नहीं देता है, ये व्यक्ति की गरिमा और प्रतिष्ठा से जीवन जीने के मौलिक अधिकार के विरुद्ध किया गया अपराध है. सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ़्तारी हो और यथोचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए. अगर आगामी 3 दिनों में कड़ी कार्रवाई नही हुई तो हम ‘पीडीए के मान-सम्मान की रक्षा’ के एक बड़े आंदोलन का आह्वान कर देंगे. पीडीए के मान से बढ़कर कुछ नहीं.
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