पिछले दिनों उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जगदीप धनखड़ पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति पद पर रहते हुए विपक्ष को सदन में बोलने नहीं दिया। जब धनखड़ ने खुलकर बोलना शुरू कर दिया और केंद्र सरकार के साथ अन्य मुद्दों पर तालमेल बैठाने से इनकार कर दिया, तो उन्हें अपने पद से ही हटा दिया गया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक खरगे ने दावा किया कि पूर्व सभापति को जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में विपक्षी सांसदों द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर, सरकार की मंशा अनुरूप कार्य न करने की वजह से हटाया गया। खरगे ने कहा, “उनसे कहा गया कि या तो वह प्रस्ताव को वापस ले लें या इस्तीफा दें दें। जिसपर उन्होंने इस्तीफा दे दिया।”
पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान खरगे ने कभी भी विपक्षी सांसदों को बोलने की अनुमति नहीं दी। कांग्रेस सांसद रजनी अशोक राव पाटिल के मामले का जिक्र करते हुए खरगे ने कहा, “पिछले उपराष्ट्रपति हमें बोलने नहीं देते थे। वे हमें निलंबित कर देते थे, हमारी एक महिला सांसद को सात महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था।”
गौरतलब है कि कांग्रेस सांसद पाटिल पर 2023 में बजट सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही का वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर साझा करने का आरोप लगा था, जिसके बाद तत्कालीन सभापति धनखड़ ने सदन के नियमों के उल्लंघन के मामले में उन्हें निलंबित कर दिया था। बाद में अगस्त 2023 में उनके निलंबन को रद्द भी कर दिया गया।
खरगे ने कहा, “एक समय पर सरकार का बचाव करने को लेकर आलोचना का सामना कर रहे धनखड़ ने खुलकर बोलना शुरू कर दिया। जस्टिस वर्मा केस में उन्होंने नियमों की बात की। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के ऊपर आए प्रस्ताव के बारे में बात की, तो उन्हें धमकाया गया और उन पर प्रस्ताव को वापस लेने का दवाब डाला गया।”
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