अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। इसपर कांग्रेस सासंद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को डरपोक करार दे दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पीएम पर 5 आरोप लगाए हैं। उन्होंने X पर लिखा- पीएम मोदी ट्रंप को फैसला और ऐलान करने देते हैं कि भारत रूसी तेल नहीं खरीदेगा। उन्होंने आगे कहा कि, बार-बार अनदेखी होने के बाद भी पीएम ट्रंप को बधाई संदेश भेजते रहते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिका यात्रा रद्द कर दी। खुद मिस्र के शर्म अल-शेख समिट में शामिल नहीं हुए। ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रम्प के बयानों का विरोध भी नहीं करते हैं।
पीएम मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री – कांग्रेस
इससे पहले, कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी पर देश की गरिमा से समझौता करने का आरोप लगाया था और रूस को भारत का करीबी सहयोगी बताया था। कांग्रेस ने कहा, ‘केवल आपसी दोस्ती को बेहतर बनाने के लिए देश के रिश्तों को नुकसान न पहुंचाएं। नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर देश की गरिमा से समझौता किया है। ट्रम्प के अनुसार, उनके गुस्से और धमकियों के आगे झुकते हुए मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा।’ पार्टी ने आगे कहा- एक बात स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं, और उनके कार्यों ने देश की विदेश नीति को अस्थिर कर दिया है।
ट्रंप का दावा – पीएम मोदी ने कहा है वे रूसी तेल नहीं खरीदेंगे
गुरुवार को व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। भारत के रूस से तेल खरीदने से मुझे खुशी नहीं थी लेकिन आज उन्होंने (पीएम मोदी) मुझे भरोसा दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। अब हमें चीन से भी यही करवाना होगा। दरअसल, अमेरिका अगस्त 2025 में भारत पर रूस से तेल खरीदने की वजह से 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगा चुका है।
इससे पहले उसने 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ लगाया था। इससे भारत पर कुल टैरिफ 50% हो गया है। हालांकि, भारत ने अब तक रूसी तेल खरीद को रोकने या कम करने जैसी किसी टिप्पणी की पुष्टि नहीं की है। ट्रम्प के इस दावे के बाद भारत में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है।
भारत का जवाब
Donald Trump के दावे पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि भारत हमेशा से तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। एनर्जी आउटलुक में बढ़ती अस्थिरता के बीच सरकार की हमेशा ये प्राथमिकता रही कि भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि क्रूड ऑयल को लेकर हमारी आयात नीतियां पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं। प्रवक्ता के मुताबिक, स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना भारत की ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं।
रणधीर जयसवाल ने आगे कहा कि इसमें हमारे ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार बनाने के साथ ही बाजार की स्थितियों के मुताबिक इनमें विविधीकरण लाना शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जहां तक अमेरिका का संबंध है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद में विस्तार की कोशिश कर रहे हैं और बीते एक दशक में इसमें लगातार तेजी आई है। वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को गहरा करने में रुचि दिखाई है, जिसे लेकर चर्चा जारी है।
रूस-युक्रेन युद्ध के बाद खरीद में बड़ा इजाफा
गौरतलब है कि भारत का ऊर्जा निर्यात प्रमुख तौर पर मिडिल ईस्ट सप्लायर्स पर निर्भर है।लेकिन बीते फरवरी 2022 में जब रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण (Russia-Ukraine War) किया गया था। इसके बाद से भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद में तेज इजाफा हुआ। इसके पीछे कारण ये रहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोपीय डिमांड में कमी के कारण Russian Oil पर भारी छूट मिली और देश को किफायती दरों पर क्रूड मिलने लगा। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत में रूसी तेल का आयात 1% था, जो कुछ ही समय में बढ़कर अब करीब 40% के आसपास पहुंच चुका है। बता दें कि चीन के बाद भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है।
भारत पर डबल टैरिफ की वजह रूसी तेल
गौरतलब है कि भारत पर अमेरिका की ओर से लगाए गए 50% के हाई टैरिफ के पीछे भी सबसे बड़ी वजह रूसी तेल की खरीद ही रहा है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने जब टैरिफ वॉर की शुरुआत की थी, तो पहले भारत पर 25% का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया था। लेकिन अगस्त महीने के अंत में इसे बढ़ाकर 50% कर दिया था। इसके पीछे ट्रंप प्रशासन ने कारण बताते हुए आरोप लगाया था कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर उसे यूक्रेन युद्ध के लिए आर्थिक मदद पहुंचा रहा है। इसे लेकर जुर्माने के तौर पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया।
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