कोरोनाकाल में सबसे उपयोगी इंजेक्शन माने जाने वाले Remdesivir को कोरोना इलाज के नए प्रोटोकाल से एम्स ने हटा दिया है.
नए प्रोटोकॉल के तहत कम गंभीर बीमारियों वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में Remdesivir दवा प्रयोग नहीं की जाएगी.
पूरे देश में Remdesivir इंजेक्शन को लेकर मारामारी मची हुई है. कई जगह तो रेमडेसिविर के कालाबाजारी की खबरें भी आनी शुरू हो गई हैं. कोरोना संक्रमितों के लिए इलाज के लिए रेमडेसिविर को रामबाण दवा ही मान लिया गया था. वहीं, एम्स ने इन दावों को लगभग नकारते हुए अपने प्रोटोकॉल से इस दवा को हटा दिया है. एम्स ने बृहस्पतिवार को कोरोना संक्रमितों के इलाज के अपने प्रोटोकॉल में अहम बदलाव किए. नए प्रोटोकॉल के तहत कम गंभीर बीमारियों वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर दवा प्रयोग नहीं की जाएगी. वहीं, हल्के रोगों वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में इनहेलेशनल बुडेसोनाइड का इस्तेमाल किया जाएगा.
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एम्स प्रशासन ने मीडिया को बताया कि प्रोटोकॉल के तहत कोरोना संक्रमितों की तीन श्रेणियां बनाई है. हल्के रोगों वाले, कम गंभीर रोगों वाले व गंभीर रोगों वाले कोरोना संक्रमित मरीज. प्रोटोकॉल के तहत हल्के रोगों वाले कोरोना संक्रमितों का होम आइसोलेशन में इलाज चलेगा. यदि इन मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होगी या पांच दिन से अधिक बुखार आएगा या ऑक्सीजन संतृप्ति में बदलाव होता है तो तत्काल चिकित्सकीय सुविधा प्रदान की जाएगी.
इन मरीजों के इलाज में आइवरमेक्टिन के साथ पहली बार प्रोटोकॉल में बुडेसोनाइड इनहेलर के प्रयोग की बात कही गई है. पांच दिन से अधिक बुखार या खांसी होने पर चिकित्सकों के परामर्श के बाद ही इन दवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा. कम गंभीर रोगों वाले ऐसे कोरोना संक्रमित मरीजों को वार्ड में भर्ती किया जाएगा, जिनका ऑक्सीजन लेवर 93 से कम एवं श्वास गति प्रति मिनट 24 से अधिक होगी.
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