देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी को दूर करने के लिए दूसरे देशों से महत्वपूर्ण दवा रेमडसिविर का आयात शुरू किया है. इसके तहत आज रेमेडिसविर की 75,000 शीशियों की पहली खेप भारत पहुंचेगी.

भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ने अमेरिका के मेसर्स गिलियड साइंसेज इंक और मिस्र की फार्मा कंपनी मेसर्स ईवीए फार्मा को रेमडेसिविर इंजेक्शन की 4,50,000 शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है. अमेरिका से अगले एक या दो दिनों में 75,000 से 1,00,000 शीशियां भारत पहुंचेगी. इसके अलावा 15 मई से पहले एक लाख शीशियों की आपूर्ति की जाएगी. साथ ही ईवीए फार्मा शुरुआत में लगभग 10,000 शीशियों की आपूर्ति करेगी, जिसके बाद हर 15 दिन या जुलाई तक 50,000 शीशियां मिलेंगी.

सरकार ने देश में भी रेमडसिविर की उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया है. 27 अप्रैल तक सात लाइसेंस प्राप्त घरेलू निर्माताओं की उत्पादन क्षमता प्रति माह 38 लाख शीशियों से बढ़कर 1.03 करोड़ शीशियों प्रति माह हो गई. पिछले सात दिनों (21-28 अप्रैल, 2021) में दवा कंपनियों द्वारा देश भर में कुल 13.73 लाख शीशियों की आपूर्ति की गई है.

दैनिक आपूर्ति 11 अप्रैल को 67,900 शीशियों से बढ़कर 28 अप्रैल. 2021 को 2.09 लाख शीशियों तक पहुंच गई है. गृह मंत्रालय द्वारा रेमडेसिविर आपूर्ति को सुचारू रूप से करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एडवाजरी जारी की गई थी.

कम हुए इस इंजेक्शन के दाम

सरकार ने भारत में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए रेमेडिसविर के निर्यात पर भी रोक लगा दी. आम लोगों के बीच इंजेक्शन की लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए, एनपीपीए ने 17 अप्रैल, 2021 को संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य जारी किया, जिससे सभी प्रमुख ब्रांडों की लागत 3500 रुपये प्रति शीशी से नीचे आ गई.

रेमडेसिविर के उत्पादन तेजी से बढ़ाने और उपलब्धता को आसानी से सुनिश्चित बनाने के लिए, राजस्व विभाग ने 20 अप्रैल को अधिसूचना 27/2021 जारी कर रेमेडिसविर इंजेक्शन पर सीमा शुल्क की पूरी तरह से खत्म करने का ऐलान किया था. इसके साथ ही इस इंजेक्शन के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले एपीआई और बीटा साइक्लोडोडेक्सट्रिन पर भी यह छूट दी गई थी. सीमा शुल्क में यह छूट 31 अक्टूबर, 2021 तक लागू रहेगी.