कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। पीएम नरेंद्र मोदी की सबसे महात्वकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से समाने आया है. जहां शहर की स्मार्ट थीम रोड का टेंडर 241 करोड़ रूपए का हुआ था. जिसे 23 फीसदी बढ़ाकर मंजूर कर दिया गया है. जिससे यह टेंडर 299 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जबकि प्रदेश के अन्य शहरों में स्मार्ट सिटी के टेंडर निर्धारित दर से कम राशि पर मंजूर किए गए हैं. टेंडर में एसओआर दर निर्धारण में भी गड़बड़ी की गई है. जिसकी अब ईओडब्लू (EOW) ने प्राथमिक एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है. वहीं मामले में नोटिस जारी किए जा रहे हैं.

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ग्वालियर स्मार्ट सिटी की स्मार्ट रोड यानी कि थीम रोड में गड़बड़ी की शिकायत संदीप शर्मा ने की थी. इस टेंडर के तहत महाराज बाड़े पर अंडर ग्राउंड पार्किंग और पैदल मार्ग का भी निर्माण किया जाना है. स्मार्ट सिटी के लिए यह टेंडर केपीएमजी कंपनी के इंजीनियर व अधिकारियों ने तैयार किया था, इसके बाद भी अधिकारियों ने इसे 23 फीसदी अधिक दर पर मंजूर कर दिया. इस टेंडर में राजस्थान, महाराष्ट्र व कर्नाटक राज्यों के एसओआर दर को शासन की बिना मंजूरी के लिया गया है. जबकि प्रदेश के एसओआर दर से टेंडर मंजूर किए जाने थे. टेंडर में कुटेशन व इस्टीमेट की दरों में भी काफी अंतर है.

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बहरहाल इस संबध में संदीप शर्मा ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत स्मार्ट रोड के टेंडर में भारी गड़बड़ी की शिकायत पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में की थी. जिस पर प्राथमिक एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. वही टेंडर में एसओआर दर निर्धारण में हुई गड़बड़ी के बाद वइस फर्जीवाड़े पर स्मार्ट सिटी की सीईओ की अपनी दलील सामने आई है.

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इसके साथ ही मामले की जांच कर रहे EOW के इंस्पेक्टर यशवंत गोयल के अनुसार शिकायत बीते जनवरी माह में की गई थी, लेकिन उस दौरान कोरोना महामारी के कारण काफी विवेचना थम गई थी. लिहाजा अब रिव्यू करते हुए मामलों के जांच प्रकरणों को लिस्टेड किया है. इसलिए इस गंभीर शिकायत की जांच शुरू की गई है, और मामले में जांच से जुड़े सभी को नोटिस जारी किया जा रहा है.

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