जीतेन्द्र सिन्हा. राजिम. नव निर्मित मुक्तिधाम में सरपंच ने शव जलाने से मना कर दिया. सरपंच का कहना है कि मुक्तिधाम का अभी लोकार्पण नहीं हुआ है. ना ही भवन निर्माण की राशि मिल सकी है. शोकमग्न परिवार को सरपंच के द्वारा मुक्तिधाम में शव नहीं जलाने के आदेश के बाद खुले में दाह संस्कार संपन्न करना पड़ा. राजिम के ग्राम पंचायत चरौदा में रोजगार गारंटी योजना के तहत मुक्तिधाम बनाया गया है.
गांव के 40 वर्षीय महिला अमरौतिन बाई साहू की गंभीर बीमारी के चलते इलाज के दौरान मौत हो गई. शोकाकुल परिवार ने सरपंच से मुक्तिधाम में दाह संस्कार करने की बात कही. सरपंच ने साफ-साफ शब्दों में मना कर दिया. साथ ही गांव के किसी को भी यहाँ शव नहीं जलाने की हिदायत दी. बताया जा रहा है कि सरपंच द्वारा लंबे समय से किसी को यहाँ शव का दाह संस्कार नहीं करने दिया जा रहा है. विगत महीनों में पांच बार दाह संस्कार से सरपंच के द्वारा रोका-टोका गया है.
इस मामले पर लल्लूराम डॉट कॉम के संवाददाता ने जब जनपद पंचायत फिंगेश्वर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी महेश पटेल से बात की तो उनका कहना था कि यह वाकई मानवता को शर्मसार कर देने वाली बात है. उन्होंने आगे कहा कि रोजगार गारंटी योजना के तहत निर्माणाधीन मुक्ति धाम की मटेरियल सप्लाई की राशि बाकी है. किन्तु उक्त वजह से मुक्ति धाम में अंतिम संस्कार किये जाने में मना करना एक जनप्रतिनिधि के लिए अच्छी बात नहीं है. मामले का जाँच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच के द्वारा गांव के लोगों को बार-बार परेशान किया जा रहा है. सरपंच को ना जाने किसका इंतजार है ? ना जाने कब सरपंच इसका लोकार्पण करवाएंगे? सवाल ये भी कि आखिर सिर्फ लोकार्पण ही दाह संस्कार में रोड़ा बना हुआ है या कोई और बात ये तो गांव के सरपंच ही बता पाएंगे. ग्रामीणों ने आगे कहा कि सरपंच के द्वारा मुक्तिधाम के भवन निर्माण की राशि नहीं मिलने की बात हर बार कही जाती है. कहीं सरपंच ने जब तक भवन निर्माण की पूरी राशि नहीं मिल जाती तब तक किसी को भी यहाँ मुक्तिधाम में दाह संस्कार नहीं करने की तो नहीं ठान ली है.