कुमार इंदर, जबलपुर। जबलपुर के डॉक्टरों का कमाल एक बार फिर देखने को मिला है। लिवर खराब होने के कारण कोमा में गई 16 साल की बच्ची का प्लाज्मा ट्रांसप्लांट कर नई जिंदगी दे दी। महाकौशल का यह पहला और अनोखा ऑपरेशन है, जब लिवर खराब होने और कोमा में भी जाने के बावजूद प्लाज्मा ट्रांसप्लांट कर मरीज को नई जिंदगी दी गई हो।
दरअसल कटनी जिले से पहुंची बच्चे को पीलिया हो गया था। पीलिया के चलते बच्ची का लिवर भी पूरी तरह से खराब हो गया था। यही नहीं बच्ची लगभग कोमा की स्थिति में पहुंच चुकी थी।
बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची को बचाने के सिर्फ दो ही तरीके थे। या तो बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट किया जाए या फिर प्लाजमा थेरेपी के जरिए बच्ची का इलाज किया जाए। डॉक्टरों का कहना है कि इतनी जल्दी लिवर ट्रांसप्लांट करना संभव नहीं था। लिहाजा उन्होंने एक अनोखा तरीका अपनाते हुए बच्ची का प्लाज्मा ट्रांसप्लांट कर उसे जीवनदान दिया।
तीसरे दिन होश में आई बच्ची
इस ऑपरेशन के लिए पहले डॉक्टरों की एक टीम बनाई। टीम में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर आलोक बंसल, डॉ. विशाल बडेरा, डॉ. शैलेंद्र सिंह राजपूत, डॉक्टर अमजद अली, डॉक्टर अरविंद जैन शामिल थे। डॉक्टरों का कहना है कि,प्लाज्मा ट्रांसप्लांट करने के तीसरे दिन बच्ची को थोड़ा-थोड़ा हो जाना शुरू हुआ। छठवें दिन बच्ची को पूरी तरह से वेंटिलेटर से हटा दिया गया। पूरे 10 दिन चले इलाज के बाद बच्ची जब पूरी तरह ठीक हो गई तो उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
पूरे महाकौशल में अनोखा ऑपरेशन
अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि, बच्ची की जान बचाने के लिए अपनाया गया यह तरीका पूरे महाकौशल में अपने आप में अनोखा और पहला ऑपरेशन है। जहां पर एक बच्ची के कोमा में जाने के बाद लीवर खराब हो जाने के बाद प्लाज्मा ट्रांसप्लांट कर उसकी जान बचाई गई हो।
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