कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। हस्तशिल्प उत्पाद में मध्यप्रदेश ने फिर इतिहास रचा है। प्रदेश के 6 उत्पादों को जीआई टैग (GI Tag ) मिला है। जिनमें ग्वालियर का कारपेट, भेड़ाघाट के स्टोनक्रॉप, डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, उज्जैन की बाटिक प्रिंट, बालाघाट की वारासिवनी की रेशमी साड़ी और रीवा का सुंदरजा आम शामिल हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोशन इंटरनल ट्रेड ने यह तमगा दिया है। बता दें कि अब तक प्रदेश में 19 उत्पादों को जीआई टैग का तमगा मिल चुका है। सीएम शिवराज ने ट्वीट कर बधाई दी है।
ग्वालियर की कालीन बनाने की कला ऐतिहासिक कला है। कालीन पर बनने वाले पर्शियन डिजाइन को ग्वालियर कारपेट के नाम से जाना जाता है। ग्वालियर कारपेट की यदि खासियत की बात की जाए तो यह सिंगल नोट के जरिए तैयार होती है, जिसके चलते यह अन्य कालीन की तुलना में काफी हल्की होती है। ग्वालियर कारपेट पर बनने वाले डिजाइनों की बात की जाए तो घोड़े, मोर, हाथी और शिकार करते हुए शिकारी जैसे डिजाइन काफी लोकप्रिय हैं। यही वजह है कि एक कालीन को तैयार होने में 2 महीने से ज्यादा का वक्त लगता है।
ग्वालियर कार्पेट के यदि साइज की बात करें तो यहां पर 6 बाई 4, 3 बाई 2, 2 बाई 4 और 6 बाई 10 के अलावा और भी काफी बड़े साइज के कार्पेट तैयार होते हैं। अभी ग्वालियर में इस हस्तशिल्प उत्पाद क्षेत्र में लगभग 2000 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं, लेकिन जीआई टैग मिलने के बाद इस क्षेत्र में नए रोजगार के आयाम स्थापित होंगे। वही इस कला के क्षेत्र में काम करने वाले बुनकरों को भी अपनी मेहनत का अच्छा पारिश्रमिक यानी कि भुगतान मिल सकेगा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी शुभकामनाएं
ग्वालियर के कारपेट को जीआई टैग मिलने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर के कार्पेट की कला आज की नहीं बल्कि बहुत ही प्राचीन कला है। इस ऐतिहासिक चीज को जो प्रोत्साहन मिलना चाहिए। आज उसे पूर्ण फ्रंट लाइन में लाने का काम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्पेट की फैक्ट्री की शुरुआत की, जिसे हम आगे ले जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि सबसे बड़ी लूम की फैक्ट्री ग्वालियर में स्थापित हो, इस योजना पर काम किया जा रहा है।
भेड़ाघाट के स्टोन क्राप को भी मिला जीआई टैग
जबलपुर स्थित भेड़ाघाट के स्टोन क्राप, डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, उज्जैन की बाटिक प्रिंट, बालाघाट की वारासिवनी की साड़ी और रीवा का सुंदरजा आम को भी जीआई टैग मिला है। बता दें कि यह पहला अवसर है कि जब एक साथ मध्यप्रदेश के इतने उत्पादों को जीआई टैग मिला है।
सीएम ने दी बधाई
वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी बधाई दी है। सीएम ने ट्वीट कर कहा कि- मैं मुरैना और रीवा की जनता को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। चंबल की गजक और रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग मिल चुका है। मुरैना की गजक का स्वाद अब दूनिया में जा रहा है और सुंदरजा की मिठास अद्भुत है।
क्या है जीआई टैग
GI का फुल फार्म Geographical Indication है उसका मतलब भौगोलिक संकेत है। जीआई टैग एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है। जिस उत्पाद को यह टैग मिलता है, वह उसकी विशेषता बताता है।
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