हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर (INDORE) के सेवालय हॉस्पिटल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां एक यूनानी डॉक्टर ने गलत तरीके से महिला की डिलीवरी कराई, डॉक्टर की इस लापरवाही के कारण नवजात शिशु की एक आंख की रोशनी चली गई और शरीर में इंफेक्शन फैल गया। परिजनों द्वारा कई बार शिकायत करने के बावजूद भी स्वास्थ विभाग ने अस्पताल प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नहीं की। मानव अधिकार आयोग के नोटिस के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टीम का गठन किया और मामूली धाराओं में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई।

पूरा मामला इंदौर के पंडरीनाथ थाना क्षेत्र स्थित सेवालय अस्पताल का है, यहां पर नियमों को ताक पर रखकर मंजिला मंसूरी नामक महिला की यूनानी डॉक्टर फरहा नाज ने डिलीवरी करा दी, जिसके बाद बच्चे की जान तक पर बनाई। डिलीवरी के समय बच्चे को खींचकर निकालने से उसकी पसलियां और आंखों में इंफेक्शन हो गया। आंख में ब्लैक फंगस भी आ गई। जबकि डॉक्टर का इंदौर स्वास्थ्य विभाग में कही रजिस्ट्रेशन तक नहीं है।

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नवंबर 2022 हुई थी डिलीवरी

महिला की डिलीवरी नवंबर 2022 में हुई थी, जिसके बाद बच्चे को 1 माह से ज्यादा अस्पताल में भर्ती रखना पड़ा। बच्चे को लंबे समय तक वेंटिलेटर सपोर्ट में रखने के बाद एनआईसीयू में शिफ्ट किया गया। बाद में जब हालत नहीं सुधरी तो बच्चे को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। जहां बच्चे को लगातार झटके आ रहे थे। वहां डॉक्टरों ने चेक की तो इसका खुलासा हुआ। विशेषज्ञों की मानें तो गलत तरीके से डिलीवरी करने के कारण बच्चे की जान पर बन आई है। बच्चे को डिलीवरी के दौरान खींचकर निकालने के कारण उसे इन्फेक्शन सहित अन्य परेशानियां हुई है।

हॉस्पिटल पर प्रशासन ने दिखाई मेहरबानी

जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा लिखे गए पत्र को भी ताक पर रखकर सेवालय अस्पताल पर कोई वैधानिक कार्रवाई तक नहीं की, जिसके बाद परिजनों ने मानव अधिकार आयोग, पुलिस आयुक्त सहित कई जगहों पर शिकायत की। मानव अधिकार आयोग द्वारा इंदौर स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर मामले में कार्रवाई करने के निर्देश दिए, तब जाकर स्वास्थ्य विभाग ने 4 डॉक्टरों की टीम का गठन कर पूरे मामले की जांच शुरू करवाई।

डिलीवरी के बाद भी बरती गई लापरवाही

डिलीवरी होने के बाद बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती गई। जिस डॉक्टर के पास डिग्री नहीं है उस डॉक्टर ने बच्चे को ऑपरेट किया। दरअसल,अस्पताल में मौजूद डॉक्टर अनुपम गुप्ता एमबीबीएस तो है, लेकिन उनके पास शिशु रोग विशेषज्ञ की डिग्री नहीं है। बाद में जब मामला और बिगड़ गया तो डॉक्टर ने परिजनों से बच्चे को एमडीएच अस्पताल ले जाने को कह दिया।

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पुलिस पर सांठगांठ के आरोप

महिला के वकील ने पूरे मामले में अस्पताल पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। एडवोकेट ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री से मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने एक पत्र लिखकर दिया था और पत्र में लिखा था कि इस अस्पताल का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर पुलिस उसमें वैधानिक कार्रवाई करें, लेकिन इसके मंत्री के पत्र को ताक पर रखकर ना ही पुलिस ने किसी प्रकार से अस्पताल पर कोई संज्ञान लिया, ना ही स्वास्थ्य विभाग ने.. 5 महीने की जांच के बाद एफआईआर तो पुलिस ने दर्ज की है, लेकिन उसमें धारा 337 और धारा 338 में मामला दर्ज किया गया है। वकील के मुताबिक मेडिकल एक्ट की धाराओं सहित 420, 467, 468 में भी पुलिस को एफआईआर दर्ज करना थी। लेकिन पुलिस ने अस्पताल के साथ सांठगांठ कर मामले को दबाने के लिए छोटी धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में धारा बढ़ाने के लिए कोर्ट के समक्ष आवेदन जल्द ही प्रस्तुत किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ बीएस सत्या ने बताया कि अस्पताल की एक शिकायत प्राप्त हुई थी, उसके बाद 4 डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई है। जांच में अपात्र डॉक्टर द्वारा महिला की डिलीवरी करवाना पाया गया। जिसके बाद पूरे मामले की पुलिस में शिकायत की गई है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।

प्राइवेट इंश्योरेंस से भी अस्पताल ब्लैक लिस्टेड

बता दें कि सेवालय हॉस्पिटल के खिलाफ आयुष्मान कार्ड में गड़बड़ी को लेकर भी जांच चल रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार जांच के बाद अस्पताल का रजिस्ट्रेशन कैंसिल होगा। दूसरी ओर एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस ने भी अपनी वेबसाइट पर सेवालय अस्पताल को ब्लैक लिस्टेड किया हुआ है। अस्पताल ने इंश्योरेंस कंपनी के साथ भी धोखाधड़ी की थी, जिसके बाद से इंश्योरेंस कंपनी ने अस्पताल को ब्लैक लिस्टेड कर दिया।

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