पॉलिटिकल डेस्क। शराब घोटाला (liquor scam) मामले में  मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ( Chief Minister Arvind Kejriwal) पिछले 24 (हिरासत में लेने से लेकर अबतक) दिन से जेल में बंद है। केजरीवाल जेल से ही अपनी सरकार चला रही है। वहीं आप को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगने का डर भी सता रही है। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी (minister atishi) से लेकर आप सांसद संजय सिंह (MP Sanjay Singh) भी केंद्र सरकार पर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए षड़्यंत्र चरने का आरोप लगा चुके हैं। आइए कुछ कारणों से जानते हैं आखिर क्यों आप को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगने का डर सता रहा है।

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एलजी 2 बार लिख चुके हैं चिट्ठी, अधिकारी बैठक में नहीं हो रहे शामिल
राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद आप ने कहा था कि वे जेल से ही अधिकारियों की मीटिंग लेंगे। वहीं बीते 15 दिनों में किसी भी अधिकारियों के साथ उनकी बैठक नहीं हुई है। वहीं दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना प्रशासनिक स्थिति को लेकर गृह मंत्रालय को 2 बार चिट्ठी लिख चुके हैं। एलजी दफ्तर से जुड़े सूत्रों ने मीडिया को बताया कि उपराज्यपाल प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए मंत्रियों से सलाह लेना चाहते थे, लेकिन मंत्री नहीं आए। वहीं आप नेताओं का आरोप है कि जेल प्रशासन मुख्यमंत्री केजरीवाल को किसी से मिलने नहीं दे रहा है। यहां तक कि उनकी पत्नी से भी मिलने नहीं दिया जा रहा है। ये सब बीजेपी के इशारे पर हो रहा है। बीजेपी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगवाने के लिए ये सब कर रही है।

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कोर्ट से भी नहीं मिल रही राहत
दिल्ली विधानसभा खत्म होने में सिर्फ 10 महीने बचे हुए हैं। इसके बाद विधानसभा के चुनाव होंगे। वहीं केजरीवाल सेशन कोर्ट के बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक अपनी फरियाद लगा चुके हैं। बावजूद इसके उन्हें कहीं से भी राहत नहीं मिल रही है। एेसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अहर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है तो इस पर तुरंत सुनवाई की गुंजाइस कम रहेगी। तबतक आप काक कार्यकाल भी खत्म हो जाएगा। इससे आप को राष्ट्रपति शासन लगने का डर सता रहा है।

वहीं सीएम का जेल जाने पर इस्तीफा देने का कोई प्रावधान नहीं है। यही वजह बताकर आप केजरीवाल का बचाव कर रही है। ऐसे में अगर मामला कोर्ट पहुंचता है, तो इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत पड़ सकती है। सुनवाई में समय लगना भी एक बड़ा कारण है।

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आंकड़े भी राष्ट्रपति शासन के पक्ष में
राष्ट्रपति शासन लगाने की चर्चा के पीछे राजनीतिक आंकड़े भी हैं। क्रिश्चिन ब्रॉज्नस्कॉव और श्रुति राजगोपालन की टीम ने भारत में राष्ट्रपति शासन और उसके राजनीतिक प्रभाव पर एक शोध किया है। अध्ययन के मुताबिक 1952 से 2019 तक 123 बार राष्ट्रपति शासन राज्यों में लगाए गए है। केंद्र सरकार की ओर से अधिकांशत: राष्ट्रपति शासन राजनीतिक जमीन हथियाने के लिए लगाया गया है। इतना ही नहीं, 123 बार जो राष्ट्रपति शासन लगे, उसमें से 24 मुख्यमंत्री ही आगामी चुनाव में अपनी कुर्सी बचा पाए।