कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर उपभोक्ता फोरम ने ऑपरेशन के दौरान पेट में कॉटन छोड़ने के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है। फोरम ने अस्पताल पर पर 4 लाख 70 हजार का हर्जाना लगाया है। फोरम ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि टिप्पणी करते हुए कहा कि पेट में काटन छोड़ना, चिकित्सकीय सेवा में एक बड़ी लापरवाही है। इस लापरवाही से पीड़ित ने मानसिक व शारीरिक कष्ट उठाया है, उसके बदले में क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है।

दरअसल भिंड जिले के कटघरा निवासी ममता शर्मा ने ग्वालियर में 19 अगस्त 2017 को मानसरोवर केयर हास्पिटल मल्टीस्पेशलिटी एवं रिसर्च सेंटर में पेट में दर्द औऱ अत्यधिक रक्तस्राव की शिकायत होने पर डॉक्टर विशाल यादव को दिखाया था। डाक्टर ने रोगी को बच्चेदानी के आपरेशन की सलाह दी। 22 अगस्त 2017 को उन्हें आपरेशन के लिए भर्ती कराया गया था।

बच्चेदानी का आपरेशन करते समय खून सोखने के लिए उपयोग में लाया गया सर्जिकल कॉटन रोगी के पेट में ही छोड़ दिया और टांके लगा दिए। इस गंभीर लापरवाही के चलते ऑपरेशन के बाद जब मरीज का स्वास्थ्य खराब हुआ तो उसे शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया। जहां 10 दिन तक ममता का इलाज हुआ था। वहाँ से छुट्टी होने के बाद भी ममता के पेट में दर्द की शिकायत रहती थी।

7 से 8 महीने बाद ममता के पेट की आंते गल गई। उसे उल्टियां और पेट में तेज दर्द होने लगा। इसके लिए ममता को जेएएच में 26 अप्रैल 2018 को सर्जरी के लिए भर्ती कराया। जेएएच के डॉक्टरों ने पेट में छोड़े गए काटन को निकाला। आंत को काटकर फिर से जोड़ गया।

मामले में पीड़ित पक्ष ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया था। पीड़ित पक्ष ने 40 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा किया था। फोरम ने डाक्टरों की लापरवाही मानते हुए 4 लाख 70 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाने का आदेश दिया है। फोरम ने अस्पताल को यह राशि 15 दिन में अदा करने का आदेश दिया है। राशि अदा करने में देर होने पर अस्पताल को 7 फीसदी ब्याज भी देना पड़ेगा।