रायपुर। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने कार्यकाल खत्म हुए बगैर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सियाराम साहू को पद से हटा दिया था. उनके जगह पर कांग्रेस सरकार ने थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी थी. इस निर्णय के विरोध में सियाराम साहू ने हाईकोर्ट की शरण ली. उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट से कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया और सियाराम साहू के पक्ष में फैसला सुनाया.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सियाराम ने पदभार किया ग्रहण

हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को सियाराम साहू पदभार ग्रहण करने छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के दफ़्तर पहुंचे, जहां उन्हें कार्यालय के केबिन में ताला लटका मिला. बावजूद इसके सियाराम साहू ने अध्यक्ष पद पर पदभार ग्रहण कर लिया. संविधानिक पद पर कार्यकाल खत्म किए बगैर किसी दूसरे की नियुक्ति नहीं की जा सकती है. हालांकि राजनीतिक पद पर सरकार अपने लोगों को नियुक्ति दे देती है.

सरकार के साथ तालमेल बैठाकर काम करने की होगी कोशिश

छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के पद पर पदभार संभालने के बाद सियाराम साहू ने कहा कि सरकार के साथ तालमेल बैठाकर काम करने की कोशिश होगी. सियाराम ने कहा कि मैं कोर्ट के आदेश का पालन करूंगा. काम शुरू करूंगा. मैं अपना कार्यकाल पूरा करूंगा. हाईकोर्ट ने नई नियुक्ति को निरस्त कर दिया है. मैं अब अपना काम चालू कर सकता हूं.

वर्तमान अध्यक्ष ने चाबी देने से किया इंकार

वहीं छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के वर्तमान अध्यक्ष थानेश्वर साहू ने कहा कि मैं अभी अपना पद या कार्यालय सियाराम साहू को नहीं दे सकता. मेरी नियुक्ति राज्य सरकार के द्वारा नियमानुसार की गई है. सियाराम साहू हाईकोर्ट का आदेश राज्य सरकार को सौंप दें. राज्य सरकार का जो निर्देश होगा, मैं उसका पालन करूंगा. कार्यालय में महत्वपूर्ण दस्तावेज रहते हैं. इसलिए चाबी अपने पास रखता हूं.

क्या है पूरा मामला ?

बता दें कि रमन सिंह के कार्यकाल में सियाराम साहू को 28 जुलाई 2018 को छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति दी गई थी. उन्होंने 4 अगस्त को पद भार संभाला था. उनकी नियुक्ति 3 साल के लिए हुई थी. उनका कार्यकाल 4 अगस्त 2021 तक था. इस बीच राज्य में भूपेश सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें साल 2020 में पद से हटा दिया गया. उनके स्थान पर थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी गई थी. राज्य सरकार की इस नियुक्ति को सियाराम साहू ने चुनौती दी थी. अब सरकार कांग्रेस की है और बीजेपी के नेता संवैधानिक पद पर बैठ गए हैं.

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