महंगाई की मार ने पहले सड़कों पर चलना मुश्किल किया अब हवाई यात्रा भी महंगी होने जा रहा है. देश में जेट फ्यूल के रेट नई उंचाई पर है. सरकारी तेल कंपनियों ने फिर से हवाईं ईंधन के दाम बढ़ा देने का फैसला किया है. जनवरी से अब तक नौ बार हो एटीएफ कीमतों में बढ़ोतरी हो चुकी है.

बता दें कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोज तय होती हैं, जबकि जेट फ्यूल की कीमतों में महीने की पहली और 16 तारीख को बदलाव होता है. एटीएफ महंगा होने का सीधा असर हवाई यात्रियों पर पड़ेगा. किसी भी विमानन कंपनी की परिचालन लागत में एटीएफ की हिस्सेदारी करीब 40% होती है. इसलिए एटीएफ की कीमत बढ़ने से हवाई किराया बढ़ना तय है.

ईंधन के महंगे दामों की वजह से अब हवाई किराया और महंगा हो सकता है और यात्रियों की बढ़ती संख्या में लगाम लग सकती है. विमानन कंपनियों का कहना है कि उन पर लागत दबाव बढ़ा है. एविएशन टर्बाइन फ्यूल की कीमत में लगातार इजाफा हुआ है, इसके मुकाबले किराए में बढ़ोतरी काफी कम है. फ्लेक्सी सिस्टम होने की वजह से यात्री संख्या बढ़ने के साथ ही किराए में इजाफा हो रहा है.

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बता दें कि फ्लेक्सी सिस्टम में जैसे -जैसे टिकट बुकिंग बढ़ती जाती है, वैसे किराया भी बढ़ता जाता है. यह सिस्टम मांग के हिसाब से टिकट कीमत को बढ़ाता है. सरकार ने साल 2022 में जनवरी से अब तक हवाई ईंधन की कीमतों में 50,938 रुपये की बढ़ोतरी की है. पिछले साढ़े चार महीने में ही हवाई ईंधन की कीमतों में 61.7 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है. 2022 की शुरुआत में एटीएफ का मूल्‍य 72,062 रुपये प्रति किलोलीटर था, जो अब बढ़कर 1.23 लाख रुपये पहुंच गया है.

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