राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। पूर्व मंत्री अरुण यादव ने मध्य प्रदेश में दुष्कर्म के 200 आरोपियों को पैरोल देने के सरकार के फैसले का पूर्व मंत्री अरुण यादव ने विरोध किया है. अरुण यादव ने कहा ये समाज के साथ ज्यादती है. ये उन परिवारों के साथ ज्यादती है जिनके साथ घटनाएं हुई हैं.

दरअसल, मध्य प्रदेश की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दुष्कर्मियों को सरकार कोरोना महामारी में पैरोल पर रिहा करने की तैयारी है. जिसको लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने शिवराज सरकार पर जमकर निशाना साधा है. पूर्व मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश पहले से ही रेप में के मामलों में अव्वल है. ऐसे में सरकार को दुष्कर्मियों को छोड़ने के बजाय उनपर सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिवराज जी आपका चरित्र ही समझ से परे है, आखिरकार आप चाहते क्या हैं – एक तरफ आप कांग्रेस के सहयोग के बाद वर्ष – 2011 मे बलात्कारियों के खिलाफ़ फांसी का अध्यादेश लाये (फांसी हुई कितनों को) ? दूसरी तरफ अब आपकी सरकार उम्रकैद काट रहे दुष्कर्मियों को पैरोल पर छोड़ने की पैरोकार हो गई. किस हद तक, कितना गिरेंगे आप? यही तो अंतर है मामा और कंस में?

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आपको बता दें कि प्रदेश की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे दुष्कर्मियों को कोरोना महामारी में पैरोल पर रिहा करने की तैयारी है. 5 जून को जेल मुख्यालय ने सभी जेल अधीक्षकों को इस संबंध में पत्र लिखा है. भोपाल की सेंट्रल जेल में ऐसे 400 बंदी हैं, जिसमें 100 बंदी ऐसे हैं जो नाबालिग बच्चियों से ज्यादती के मामले में सजा काट रहे हैं.

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हालांकि इन बंदियों को भी पैरोल का अधिकार है, लेकिन जेल मुख्यालय का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के 2015 के उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ऐसे बंदी जिन्होंने दुष्कर्म का अपराध किया है और जिन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के मामले में सजा हुई है, उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता. इनके अलावा जो भी बंदी हैं, उन्हें राज्यपाल धारा 161 के तहत सजा से राहत दे सकते हैं.

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