छत्तीसगढ़ राज्य की तस्वीर अब बदलने लगी है. हर क्षेत्र में नवा छत्तीसगढ़ की संकल्पना साकार होती दिख रही है. स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, विकास, खेल, पर्यटन, उद्योग, कृषि या कोई और क्षेत्र हो, हर तरफ सुघ्घर छत्तीसगढ़ नजर आ रहा है. ये सब संभव हुआ है भूपेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और उनके सफल प्रयासों से. कुछ बरस पहले बीजापुर में नवजात शिशुओं के इलाज के लिए न तो विशेषज्ञ डॉक्टर मिलते थे और न ही स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट जैसी सुविधाएं यहां थी. लेकिन ये बीते दिनों की बात हो गई है. अब जिला अस्पताल के मदर-चाइल्ड अस्पताल में संचालित स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट हजारों बच्चों के लिए संजीवनी बन गया है. आज विशेषज्ञ डॉक्टरों के हाथों नौनिहालों की किलकारी सुरक्षित हुई है. यूनिट में जरूरी उपकरण और सभी सुविधाएं मौजूद हैं, जो इस सुदूर आदिवासी अंचल के लिए वरदान साबित हो रहा हैं.

जिला चिकित्सालय बीजापुर के मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल ‘उत्सव’ में मोती कोरसा ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. लेकिन जन्म के बाद बच्चा ना रोया और ना ही सांस ले रहा था. नवजात शिशु के मस्तिष्क में ऑक्सीजन न पहुंचने से उसे झटके भी आ रहे थे. स्थिति को देखते हुए नवजात बच्चे स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में शिफ्ट किया गया. जहां एसएनसीयू प्रभारी डॉ. मंगेश और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नेहा ने उसका इलाज शुरू किया. नवजात को वेंटिलेटर पर रखने के 3 दिन बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ और शिशु खुद से सांस लेने लगा. अगले 12 दिनों तक शिशु को एसएनसीयू में ही रखा गया और पूरी तरह से ठीक होने के बाद 18 जून को उसे छुट्टी दे दी गई. एसएनसीयू में उपलब्ध वेंटिलेटर की सुविधा और विशेषज्ञ डॉक्टरों के कारण ही नवजात शिशु की सांस लौटी.

संसाधनों की उपलब्धता से स्वस्थ हुआ शिशु

जिला चिकित्सालय बीजापुर के मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल में 26 अप्रैल 2023 को एक शिशु का जन्म हुआ. प्री मेच्योर होने के कारण जन्म के समय बच्चे का वजन मात्र 01 किलोग्राम था और फेफड़े कमजोर होने के कारण उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में डॉ. मंगेश मस्के ने शिशु को इन्क्यूबेट कर वेंटिलेटर पर रखा. लगभग 10 दिनों तक शिशु का इलाज चला, जिससे उसका वजन बढ़कर 1.53 किलोग्राम हो गया. स्वस्थ होने पर शिशु को 6 मई को डिस्चार्ज भी कर दिया गया.

गूंज रही किलकारियां

छत्तीसगढ़ के सुदूर अंतिम छोर के जिले बीजापुर में एक दौर था जब स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी नहीं मिलते थे और बेहतर स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं का अभाव था. इलाज के लिए अंचल के लोगों को जगदलपुर से लेकर बड़े शहरों तक जाना पड़ता था.लेकिन अब स्थिति बदली है. जिला अस्पताल में अत्याधुनिक स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं की उपलब्धता और विशेषज्ञ चिकित्सक मिलने से बीमारियों की जांच और उनका इलाज आसान हुआ है. उत्सव (मदर-चाइल्ड हॉस्पिटल) में नौनिहालों की किलकारियां गूंज रही है. वहीं अन्य बीमारियों के मरीज भी अपनी तकलीफ से निजात पा रहे हैं.

आज बीजापुर में स्वास्थ्य सुविधाओं की तस्वीर बदल गई है. अस्पताल में इलाज के साथ-साथ अब लोगों के मोहल्ले तक स्वास्थ्य शिविर के जरिए चिकित्सकीय सुविधा पहुंच रही है. तमाम चुनौतियों के बीच शासन की मंशा और बीजापुर के लोगों की जीवटता से अब सुदूर इलाकों तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं.