मुंबई. आने वाले दिनों में कर्मचारियों को 9 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट करनी पड़ सकती है. केंद्र सरकार ने वेज कोड में बदलाव का ड्रॉफ्ट रूल जारी किया है. श्रम मंत्रालय की ओर से जारी इस मसौदे में 9 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट की सुझाव दिया गया है. हालांकि, नेशनल मिनिमम वेज का जिक्र इस मसौदे में नहीं किया गया है. मसौदे पर आम लोगों समेत सभी पक्षकारों से सुझाव, टिप्पणी आमंत्रित की गई हैं.

श्रम मंत्रालय की ओर से जारी इस ड्राफ्ट में सरकार ने ज्यादातर पुराने सुझावों को ही रखा है. जिसमें वेज तय करने के लिए पूरे देश को तीन जियोग्राफिकल वर्गों, महानगरीय क्षेत्र, गैर महानगरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र, में बांटा गया है.

इसमें पहले वर्ग में 40 लाख या इससे ज्यादा की आबादी वाले मेट्रोपोलिटन शहर, दूसरे वर्ग में 10 से 40 लाख तक की आबादी वाले नॉन मेट्रोपोलिटन शहर और तीसरे वर्ग में ग्रामीण इलाकों को शामिल किया गया है.

मंत्रालय की ओर से जारी ​मसौदा नियमों के अनुसार, मिनिमम वेज तय करने का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है. हालांकि, यह जरूर कहा गया है कि इस मामले में भविष्य में चीफ लेबर कमिश्नर की अध्यक्षता में एक ​टेक्निकल कमिटी गठित की जाएगी.

इसके अलावा, मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत चल रहा 8 घंटे रोजाना काम की अवधि के नियम को लेकर भी ड्राफ्ट में कोई स्पष्टता नहीं है. अभी इसी नियम के तहत 26 दिन काम के बाद सैलरी तय होती है. ड्रॉफ्ट में भी यही वेज तय करने के संबंध में इसी नियम का उल्लेख किया गया है.

श्रम मंत्रालय की ओर से गठित एक इंटरनल पैनल ने जनवरी में 375 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से नेशनल मिनिमम वेज तय करने की सिफारिश की थी. इस मिनिमम वेज को जुलाई 2018 से लागू करने के लिए कहा गया था. सात सदस्यीय पैनल ने 9,750 रुपये मिनिमम मंथली वेज के अलावा शहरी कामगारों के लिए 1,430 रुपये का हाउसिंग अलाउंस देने का सुझाव दिया था.

आपातकालीन स्थितियों में 16 घंटे तक काम

वेतन संहिता कानून अगस्त में संसद से पारित हो चुका है, अब उसके लिए नियम बनाए जा रहे हैं. प्रस्तावित नियमों के अनुसार वेतन संहिता, 2019 की धारा 13 (उपधारा 1, उपबंध ए) के तहत न्यूनतम वेतन प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को न्यूनतम 9 घंटे काम करना होगा.  आपातकालीन स्थितियों में (धारा 13, उपधारा 2) एक दिन में 16 घंटे तक काम करना पड़ सकता है.

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