लखनऊ. यूपी की ग्राम सभाओं के पोखरों में अब मछली के बीज बनाने की तैयारी हो रही है. योगी सरकार ने हर साल 100 तालाबों को मत्स्य बीज के बैंक के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है. अगले पांच साल में 500 तालाबों में मछली बीज विकसित किए जाएंगे. ये वे तालाब होंगे, जो मछुआरा समुदाय को पट्टे पर मिले होंगे. ऐसा होने पर मछली पालकों को गुणवत्तापूर्ण बीज की कमी नहीं रहेगी. इससे सरकार की मंशा के अनुसार इनलैंड मछली उत्पादन में वृद्धि भी होगी.

योगी सरकार निषादराज बोट सब्सिडी योजना के तहत पट्टाधारक मछुआरों को नाव और जाल आदि उपलब्ध कराएगी. 5 वर्ष में इस योजना में 7500 मछुआरे व पट्टा धारकों को नाव के साथ जाल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है. योजना के तहत मछुआरा समुदाय को एक लाख की नाव पर 40 फीसद का अनुदान मिलेगा. इससे मछली उत्पादन में वृद्धि होगी और मछली पालन को अपनाने वाले लोगों को स्थायी आजीविका भी उपलब्ध होगी.

लैंड लॉक्ड उत्तर प्रदेश में इनलैंड मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं. हाल के वर्षो में प्रदेश ने इनलैंड (अंतरस्थलीय) मछली पालन में खासी प्रगति भी की है. वर्ष 2020-2021 में इनलैंड मछली पालन में प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिलना इसका प्रमाण है. सरकार इस दर्जे को बरकरार रखने की हर संभव कोशिश करेगी. बीज उत्पादन की इकाई लगाने पर 25 फीसद अनुदान देय होगा. छह अत्याधुनिक मछली मंडियों का निर्माण, उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड एक्वा फार्म के स्थापना का जिक्र भी संकल्पपत्र में किया गया था.

पिछले 5 साल के आकड़ों पर गौर करें तो हर साल मछली के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि दर्ज की गई है. इस दौरान उत्पादन 6.176 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 7.456 लाख मीट्रिक टन हो गया. इनलैंड मछली पालन में आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश का तीसरा स्थान है. इन तीनों राज्यों में इनलैंड मछली का उत्पादन क्रमश: 36.1, 16.19 6.99 लाख टन है. सरकार के लिए उत्पादन और मांग का यही अंतर अवसर भी है.

जलाशयों की संख्या, भरपूर बारिश, सर्वाधिक आबादी के नाते बाजार एवं सस्ता श्रम इन संभावनाओं को और बढ़ा देते हैं. मालूम हो कि प्रदेश में जलाशयों, झीलों तालाबों का कुल रकबा करीब 5 लाख हेक्टेयर है. मछुआरा समुदाय को केंद्र में रखकर इन जलश्रोतों का बेहतर उपयोग के जरिए मछली उत्पादन में वृद्धि, किसानों के लिए रोजगार और आय का अतिरिक्त जरिया बनाना सरकार का लक्ष्य है. इसके लिए सरकार निजी भूमि पर मछली पालन के लिए तालाब खुदवाने को प्रोत्साहित कर रही है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में 1520 हेक्टेयर भूमि पर निजी तालाब खोदे गए. करीब एक लाख मत्स्य पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड से जोड़ा गया. करीब 465 हेक्टेयर में मछली बीज की रियरिंग इकाइयों की स्थापना से शुरुआत हो चुकी है. इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए योगी सरकार 2.0 में रिवर रैचिंग, मत्स्य बीज वितरण की योजना बनाई गई है.

मत्स्य विशेषज्ञ डॉ. संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि मछली पालन के एक साथ कई लाभ हैं. यह पर्यावरण के अनुकूल है. जीव जनित प्रोटीन का बेहतर स्रोत होने के साथ मटन और चिकन से सस्ता होना इसकी अन्य खूबियां हैं. किसानों के लिए अतिरिक्त आय, गरीबी उन्मूल, रोजगार का जरिया, निर्यात की संभावना की वजह से विदेशी मुद्रा का अर्जन सोने पर सुहागा जैसा है. मछली की इन्हीं खूबियों के नाते इसके प्रोत्साहन के लिए सरकार ने ‘ब्लू रेवोल्यूशन’ का नारा दिया था.