भुपेश बघेल ने अपने कार्यकर्ताओं के नाम एक लंबा खत मिले है. यह खत उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है।

ये है खत  –

*भाजपा की रमन सिंह सरकार की कमीशनखोरी के ख़िलाफ़ आंदोलन: कांग्रेस के सभी साथियों को मेरा खुला पत्र-भूपेश बघेल*

प्रिय साथियो,

यह पत्र मैं आपको ऐसे समय में लिख रहा हूं जब हमारे मुख्यमंत्री माननीय रमन सिंह जी स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में लगातार 13 साल से कमीशनखोरी हो रही है और वे अपने मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों से अपील कर चुके हैं कि वे एक साल कमीशन न खाएं.

एक ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी ग़ैर-भाजपा राज्यों में जाकर ईमानदारी की क़समें खाते हैं. ‘न खाउंगा न खाने दूंगा’ का नारा देते हैं लेकिन भाजपा शासित राज्यों के भ्रष्टाचार के लिए आंखें मूंद लेते हैं. उसकी अनदेखी करते हैं. यही हाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का है कि उनको रमन सिंह जी का भ्रष्टाचार दिखाई नहीं देता या शायद वे इसे शिष्टाचार मान लेते हैं.

हम आरोप लगाते रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में विगत साढ़े तेरह बरसों से काबिज भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश की सबसे भ्रष्ट सरकार है. लेकिन अब इसकी पुष्टि मुख्यमंत्री रमन सिंह जी ख़ुद कर चुके हैं. गत 21 अप्रैल को रायगढ़ में भाजपा की कार्यकारिणी में दिया गया उनका बयान आत्मस्वीकारोक्ति है.

भाजपा के मुख्यमंत्री हमें भ्रष्टाचार की दलदल में धंसाते जा रहे हैं और कर्ज़ से लादते जा रहे हैं. अपने आसपास देखिए साथियो, आप पाएंगे कि पिछले तेरह साल में भाजपा का एक एक कार्यकर्ता फ़र्श से अर्श तक पहुंच गया. दलाली और कमीशनखोरी कर-करके एक साधारण से स्कूटर पर चलने वाला भाजपा नेता अब कई लक्ज़री गाड़ियों का मालिक हो गया है. कई मकान हैं, कई दुकानें हैं और अनगिनत जगह ज़मीनें हैं.
हज़ारों करोड़ों के मालिक और विदेश में खाता

लोग चर्चा करते हैं कि मुख्यमंत्री रमन सिंह कितने हज़ार करोड़ के मालिक हो गए हैं, नहीं पता. सच में साथियो, ये किसी को नहीं पता कि वे कितनी संपत्ति के मालिक हैं. जिसके पते पर विदेश में खाता खुला हो उसके बारे में कैसे बताया जा सकता है? अकेले नान घोटाले (राशन के चावल का घोटाला) में 36000 करोड़ हड़प लिए गए, जिसका बड़ा हिस्सा मुख्यमंत्री निवास पहुंचता रहा. प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले का मुख्य आरोपी कहता है कि उसने मुख्यमंत्री रमन सिंह जी और उनके मंत्रियों को एक-एक करोड़ रुपए पहुंचाए. अगुस्टा हेलिकॉप्टर की ख़रीदी में घोटाला होता है और उसी के कमीशन के पैसों के लिए विदेश में खाता खुलता है. लेकिन मुख्यमंत्री चुप्पी लगाए बैठे रहते हैं. वे कभी नहीं कहते कि ये आरोप झूठे हैं लेकिन वे सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी मामले की जांच कहीं नहीं पहुंचे.

विदेश से कालाधन लाने का वादा करने वाले नरेंद्र मोदी ने रमन सिंह से कभी पूछा कि ये अभिषाक सिंह कौन है जिसके नाम पर उनके (रमन सिंह के) पते पर विदेश में खाता खुला है. अगर मोदी जी इसे अनदेखा करते हैं तो इसका दो ही मतलब हो सकता है. एक तो यह कि वे भाजपा के भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार नहीं मानते. दूसरा यह कि वे जनता के सामने लगातार झूठ बोल रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार को रोकना चाहते हैं.

वे अपने मित्र और पूर्व मुख्यमंत्री के साथ मिलकर लोकतंत्र का चीरहरण करते हैं. उनका दामाद और पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा मिलकर उम्मीदवार ख़रीदी बिक्री करते हैं और नाम वापसी के लिए सात करोड़ की घूसखोरी करते हैं. और इसकी जांच भी नहीं होने देते. क्यों?

बदहाल किसान

आज से साढ़े तेरह साल पहले जब कांग्रेस की सरकार बदली और भारतीय जनता पार्टी के हाथों जनता ने बागडोर सौंपी तो लगा था कि यह परिवर्तन की स्वस्थ्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है. तब डॉ रमन सिंह मुझे अपने बीच के ही एक राजनीतिक व्यक्ति की तरह दिखते थे. लेकिन बीते बरसों ने मेरी सोच को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है और अब जब भी मैं अपने प्रदेश की ग़रीब जनता को देखता हूं, ख़ासकर किसानों को देखता हूं तो रोना आ जाता है. कैसा प्रदेश हमने डॉ रमन सिंह को सौंपा था और क्या करके रख दिया उन्होंने?

साथियो, सच कहूं तो मुझे अब यक़ीन हो गया है प्रदेश को दुर्भाग्य से एक ऐसा मुख्यमंत्री मिल गया है जिसका न दिल छत्तीसगढ़ के लिए धड़कता है और न दिमाग में एक क्षण के लिए छत्तीसगढ़ की जनता आती है. इस मुख्यमंत्री के लिए छत्तीसगढ़ की माटी और माटीपुत्रों की कोई अहमियत नहीं है. वे महज़ वोटर हैं. जिन्हें कभी एक रूपए किलो चावल के नाम से बहकाया जाता है तो कभी फर्ज़ी राशन कार्ड बनवाकर बरगलाया जाता है.

आज समझ में आता है कि रमन सिंह से ज़्यादा निर्मम व्यक्ति कोई नहीं हो सकता जो राजनीतिक लाभ के आगे अपनी संवेदनाएं बेच सकता है, अपनी गरिमा गिरवी रख सकता है और जनभावनाओं को नीलाम कर सकता है.

दुख के साथ कहना पड़ रहा है साथियो कि यह हमारा सामूहिक दुर्भाग्य है कि छत्तीसगढ़ की जनता का बहुसंख्य हिस्सा मन से इतना भोला है कि वह किसी की भी बातों में आ जाता है और उसे कोई भी मिठलबरा ठग सकता है. वह अपनी भलाई की बातों को भी नहीं समझता.

एक मुख्यमंत्री विकास के नाम पर लोगों को नया रायपुर की चमचमाती सड़कें दिखाता है, नई इमारतें दिखाता है लेकिन यह नहीं बताता कि जब विकास हो रहा था तो उसके राज्य में ग़रीबों की संख्या 37 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत कैसे हो गई? साफ़ है कि ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर हो रहा है. तभी तो प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है लेकिन जनता ग़रीब होती जा रही है.

किसान हमारे छत्तीसगढ़ की रीढ़ हैं. वे ही अर्थव्यवस्था के कर्णधार रहे हैं. लेकिन आज छत्तीसगढ़ में किसान से ज़्यादा निरीह व्यक्ति कोई नहीं है. जिस छत्तीसगढ़ ने किसानों को हमेशा ख़ुशहाल देखा वही छत्तीसगढ़ आज उसे आत्महत्या करते देख रहा है. उसकी ज़मीन छिन ली गई है और बदले में कुछ नहीं मिला. वह देख रहा है कि उसकी आने वाली पीढ़ियों के सामने रोज़गार का अभूतपूर्व संकट मंडराने वाला है. किसान को डॉ रमन सिंह ने चुनावी मोहरा बना लिया है.

300 रुपए बोनस और 2100 रुपए समर्थन मूल्य का वादा सिर्फ़ जुमला साबित होता है. किसानों के लिए भाजपा की सरकार से बड़ी ठग और कोई नहीं हो सकती. जिस राज्य की 70 प्रतिशत आबादी किसानों की हो वहां किसानों के साथ इतना बड़ा धोखा? वह भी सिर्फ़ इसलिए कि किसान भाजपा सरकार ख़िलाफ़ खड़ा नहीं हो रहा है? मुख्यमंत्री रमन सिंह से सीधा सवाल नहीं पूछ रहा है? क्या मुख्यमंत्री रमन सिंह जी छत्तीसगढ़ के किसानों के पुरुषार्थ को चुनौती दे रहे हैं?

मैं ख़ुद एक किसान का बेटा हूं. मैंने हल चलाया है, ट्रैक्टर चलाया है. बोआई-निंदाई की है. मेरे पैर मिट्टी में सने रहे हैं. मैं किसानों का दर्द ठीक से समझता हूं. मैं समझता हूं कि एक किसान किन परिस्थितयों में आत्महत्या जैसा घातक क़दम उठाता होगा. साथियो, आपमें में से अधिकांश लोग इस परिस्थिति को समझ पाते होंगे. क्या आपका दिल इन किसानों के लिए नहीं पसीजता? क्या आपका दिल नहीं रोता?

शिक्षा और स्वास्थ्य का बुरा हाल

दिल तो आपका अपने बच्चों को देखकर भी रोता होगा जिन्हें भाजपा के तेरह साल के शासनकाल ने कहीं का नहीं छोड़ा. मैं सरकारी स्कूलों से पढ़कर निकला हूं. आपमें से बहुत से लोग सरकारी स्कूलों से ही पढ़े होंगे. हम जानते हैं कि सरकारी स्कूल बुरे नहीं होते थे. लेकिन अब क्या हो गया है? संस्कृति और देशप्रेम की दुहाई देने वाली भाजपा की सरकार ने हमारे स्कूलों की ऐसी दुर्गति कर दी है कि बच्चों के भविष्य की चिंता के मारे नींद नहीं आती. अंग्रेज़ अफ़सर लॉर्ड मैकॉले तो भारतीयों को क्लर्क बनाना चाहता था लेकिन रमन सिंह जी तो हमारे बच्चों को सिर्फ़ मज़दूर बनाना चाहते हैं. आज हमारे बच्चे न ठीक से किताबें पढ़ पा रहे हैं और न दो लाइनें ठीक तरह से लिख पा रहे हैं. पढ़ वही पा रहे हैं जो पेट काट-काटकर निजी स्कूलों की फ़ीस दे रहे हैं. लेकिन क्वालिटी की गारंटी वहां भी नहीं है. यह छत्तीसगढ़ के साथ एक व्यापक षडयंत्र है. इसे ठीक से समझना होगा.

जिस प्रदेश ने देश को पहला कहानीकार माधवराव सप्रे दिया, जिसने देश को एक क्रांतिकारी कवि मुक्तिबोध दिया, जिसने विनोद कुमार शुक्ल जैसा कवि-कथाकार दिया, जिसने हबीब तनवीर, रामचंद्र देशमुख और सत्यदेव दुबे जैसे रंगमंच के अप्रतिम कलाकार दिए, जिसने मायाराम सुरजन से लेकर राजनारायण मिश्रा, रामाश्रय उपाध्याय और मधुकर खेर जैसे प्रखर पत्रकार दिए, उसी प्रदेश में लिखाई पढ़ाई की ऐसी दुर्गति?

नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री और भारत रत्न अमर्त्य सेन ने कहा है कि भारत एक अकेला ऐसा देश है जो अशिक्षित और अस्वस्थ्य लोगों के साथ महाशक्ति बनना चाहता है. वे सही कह रहे हैं. लेकिन साथियो, छत्तीसगढ़ की स्थित तो और भी भयावह है. हम तो शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों मामलों में गर्त में डूबे हुए हैं और फिर भी अपने मुख्यमंत्री को विकास की ढफली बजाते देख रहे हैं.
पूरे प्रदेश में इलाज के नाम पर सिर्फ़ ठगी है. मुफ़्त इलाज करने वाले सरकारी अस्पतालों को षडयंत्रपूर्वक मारा जा रहा है और लूट खसोट करने वाले प्राइवेट अस्पतालों को बढ़ावा दिया जा रहा है. नसंबदी करवाने वाली माताएं मौत के मुंह में समा जाती हैं, गर्भाशय निकालने का धंधा चलाया जाता है, आंखों का इलाज करवाने पहुंचे बुज़ुर्ग अपने आंखों की रोशनी गंवा देते हैं और 65 फ़ीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार पाए जाते हैं. कभी सोचा है साथियों कि कहां ले जा रहे हैं हमारे इस प्रदेश को रमन सिंह जी?

भाजपा की इस सरकार ने आदिवासियों पर अत्याचार का इतिहास रच दिया है. नक्सली हिंसा के नाम पर न आदिवासी भाइयों की बहू-बेटियों को बख़्शा गया और न स्कूली बच्चों को. आदिवासियों के मकान जलाए और उन्हें बेघर कर दिया. विकास का ढिंढोरा पीट रहे भाजपा की नीयत देखिए कि वनोपज का समर्थन मूल्य आधा कर दिया और ऊपर से महुआ की ऐसी नीति ले आए जिससे आदिवासियों की समस्या बढ़ना तय है.

इसी तरह का व्यवहार अनुसूचित जाति के साथ है. आपको सतीश नौरंगे नहीं भूला होगा. उस युवक की ग़लती सिर्फ़ इतनी थी कि वह बिजली मांग बैठा था और पुलिस ने उसे थाने में पीट-पीटकर मार डाला.

छत्तीसगढ़ की बहू-बेटियों का जैसा शोषण भाजपा सरकार के राज में हुआ है, वैसा और कहीं नहीं हुआ. कोई यक़ीन करेगा कि पिछले पांच वर्षों में प्रदेश से 19000 से अधिक लड़कियां/महिलाएं ग़ायब हो गई हैं और सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई. एक ओर रमन सिंह ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान का हिस्सा बनते हैं और दूसरी ओर उनके गृह ज़िले कवर्धा में 11000 बच्चियां स्कूल छोड़ देती हैं और आश्रम में बच्चियों के साथ अनाचार होता है.

कुल मिलाकर साथियो, रमन सिंह की सरकार सिर्फ़ छत्तीसगढ़ को लूटने खसोटने में ही लगी रही. पिछले साढ़े तेरह वर्षों में एक भी ऐसी योजना नहीं बनी है जिससे छत्तीसगढ़ आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ को कुछ ठोस मिल सके. जिस राज्य में ग़रीबों, आदिवासियों और किसानों के हित में कुछ करने की ज़रूरत थी वहां रमन सिंह ने सवा लाख करोड़ (1250000000000 रुपए) नया रायपुर में सड़कें और इमारतें बनाने में खर्च कर दिए. सिर्फ़ कमीशन के फेर में. जितना निर्माण होगा, उतना कमीशन.

तो कमीशनखोर इस भारतीय जनता पार्टी सरकार की उल्टी गिनती अब शुरु हो गई है. बस हम सबको मिलकर जनता तक इनकी सच्चाई पहुंचानी है. हम अगले तीन महीनों में अथक परिश्रम करेंगे और एक एक नागरिक को यह बता देंगे कि छत्तीसगढ़ को भाजपा सरकार ने किस कदर बेचा है.

तो चलिए, निकल पड़िए सड़कों पर कमीशनखोरी के ख़िलाफ़ आंदोलन का हिस्सा बनने. हर मंत्री, हर संसदीय सचिव, भाजपा के हर पदाधिकारी के ख़िलाफ़ कमीशनखोरी बंद करने का आंदोलन करने और उनका पुतला जलाने.
पत्र थोड़ा लंबा हो गया लेकिन क्या करुं, रमन सिंह सरकार के ख़िलाफ़ मुद्दे इतने हैं कि थोड़े में समेटा ही नहीं जा सकता.
आपका अपना साथी,

भूपेश बघेल

अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी, छत्तीसगढ़*