सेमीकंडक्टर पॉलिसी (Semiconductor policy) के लिए कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. खबर है कि सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपये के प्रावधान को अपनी परमिशन दे दी है. इससे BHEL, MoschipTech और Bosch जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा होने वाला है. निवेशकों को इन कंपनियों पर खासतौर पर फोकस रखना चाहिए. टाटा ग्रुप ने भी सेमीकंडक्टर के प्लांट लगाने में अपनी रुचि जताई थी. यह कंपनियों के लिए एक शानदार मौका होगा. हाल ही में दुनियाभर में सेमीकंडक्टर की शॉर्टेज देखने को मिल रही है. 

निर्णय के बारे में बोलते हुए, दूरसंचार और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सेमीकंडक्टर पॉलिसी को मंजूरी मिलने से माइक्रोचिप्स के डिजाइन, निर्माण, पैकिंग और परीक्षण में मदद मिलेगी और एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा. भारत में चिप निर्माण के लिए इस पीएलआई योजना से देश के ऑटो सेक्टर को काफी मदद मिलने की उम्मीद है. वैश्विक ऑटो उद्योग की तरह, भारतीय ऑटो क्षेत्र को भी चिप की कमी के कारण बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जो कि कोविड -19 महामारी के कारण उभरा.

 क्या होते हैं सेमीकंडक्टर

सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक चिप होते हैं जिन्हें सिलिकॉन से बनाया जाता है. ये कारों के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में करंट को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. इनके बिना आज कारों की कल्पना ही नहीं की जा सकती. मौजूदा समय में बाजार में जितनी भी कारें उपलब्ध हैं, सभी में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है. इनके बिना कारों को हाईटेक नहीं बनाया जा सकता.

कारों में डिस्प्ले पैनल, नेविगेशन, लाइट, पावर स्टीयरिंग और लगभग सभी ऑटोमैटिक फीचर्स में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है. चिप्स की कमी की वजह से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सेमीकंडक्टर की भारी कमी हो गई है, इसलिए कारों का उत्पादन तय संख्या में नहीं हो रहा है.

क्यों हुई सेमीकंडक्टर की कमी

सेमीकंडक्टर को अलग-अलग प्रकार के सैकड़ों चिप से बनाया जाता है. अभी सबसे अच्छी गुणवत्ता के चिप की सप्लाई फिलहाल क्वालकॉम इंक और इंटेल कॉर्प कंपनियां कर रही हैं. हालांकि, वैश्विक कोरोना महामारी ने कंपनियों की चिप की सप्लाई को बाधित कर दिया है. इसी वजह से ये कंपनियां डिमांड के अनुसार सेमीकंडक्टर का उत्पादन नहीं कर पा रही हैं.

इसके अलावा स्मार्टफोन, टीवी, ऐसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर की डिमांड बढ़ गई है जिससे निर्माण करने वाली कंपनियां आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं. इसी कारण से कारों में लगने वाले कुछ सेमीकंडक्टर चिप की कीमत में उछाल आ गया है. कारों में लगने वाले डिस्प्ले ड्राइवर चिप की कीमत बढ़ गई है, जिनका इस्तेमाल टेलीविजन, लैपटॉप, कार और विमानों के उत्पादन में भी होता है.