रायपुर- संसद में पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने वाली फाइल राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सरकार को लौटा दी है. एक दिन पहले ही सरकार ने 27-28 तारीख को विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाए जाने की मंशा के साथ राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा था. राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि सत्र के दौरान कौन-कौन से शासकीय विधि विषयक कार्य होंगे? उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में सरकार देर शाम तक जवाब राजभवन भेज देगी.

संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने विशेष सत्र बुलाए जाने की जानकारी मीडिया से साझा की थी. सरकार ने कहा था कि राजभवन से अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है, लेकिन राजभवन ने फाइल लौटाकर पूछा है कि, 58 दिन पहले ही जब सत्र आहूत किया गया था, तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई है कि विशेष सत्र बुलाए जाने की जरूरत पड़ रही है? सत्र के दौरान क्या-क्या काम होंगे?

सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने नए कृषि कानून के चलते किसानों और श्रमिकों के हित प्रभावित होने की आशंका जताई है. इस वजह से सरकार राज्य में कुछ संशोधन कर सकती है. यह संशोधन निजी मंडियों की स्थापना, आवश्यक वस्तु अधिनियम और श्रम कानूनों को लेकर हो सकता है. विशेष सत्र में सरकार कम के कम चार विधेयक सदन में पेश कर सकती है, जिसकी तैयारी चल रही है.

विशेष सत्र बुलाए जाने से संबंधित फाइल सरकार को लौटाने के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव और तेज हो गए हैं. हाल ही में लाॅ एंड आर्डर से जुड़े मुद्दे पर राजभवन में बुलाई गई बैठक को गृहमंत्री के क्वारंटाइन होने की दलील के बाद रद्द कर दी गई थी.

सरकार जब चाहे सत्र बुला सकती है

छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा ने कहा कि, सत्र बुलाना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. वह जब चाहे तब सत्र बुला सकते हैं. राज्यपाल ने इस पर क्या लिखकर भेजा है, इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि सत्र बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री और कैबिनेट में निहित है. सत्र कभी भी बुलाया जा सकता है. जनहित के मामले में सदन चर्चा नहीं करेगा तो कौन करेगा? मुख्यमंत्री जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं. सदन जनता को प्रतिनिधित्व करता है. जल्दी-जल्दी सत्र होंगे, तब जन सामान्य से जुड़े मुद्दे हल होंगे. राज्यपाल के इस विवेकाधिकार पर कोई टिप्पणी मैं नहीं कर सकता. संभव है कि राज्यपाल ने कोई क्वेरी की होगी. यदि उनकी तरफ से कोई संशय है, तो उसे सरकार को दूर कर देना चाहिए.

इधर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि हमे सत्र बुलाए जाने को लेकर किसी तरह की अड़चन नहीं है. मैं मांग कर रहा हूं कि 15 दिन का सत्र बुलाइए. ड्रग मामले में यहां के तार नाइजीरिया तक जुड़े हैं, क्या इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए? रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं. किसान आत्महत्या कर रहे हैं, आखिर इन विषयों पर चर्चा करने पर सरकार को क्या आपत्ति है?