शैलेन्द्र पाठक, बिलासपुर। बिलासपुर जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाते बड़ा कदम उठाया है. प्रशासन ने निजी स्कूल के प्राचार्यो की बैठक बुलाकर निजी प्रकाशकों की किताब अनिवार्य करने पर बैन लगा दिया है. इसके साथ ही दो हजार से ज्यादा वार्षिक शुल्क लेने पर भी रोक लगाई है.

दरअसल निजी स्कूलों द्वारा निजी फ़ीस और निजी प्रकाशकों की पुस्तक अनिवार्य करने के खिलाफ पालकों के लगातार आंदोलन के बाद यह फैसला लिया गया है. हर स्कूल में पालक संघ की एक कमिटी बनाने का निर्देश भी जिला प्रशासन ने दिया है. हालांकि फ़ीस वृद्धि को लेकर शासन ने कोई निर्देश नहीं दिया है, लेकिन 12 बिंदु पर निजी स्कूलों को निर्देश जारी किया है. इसका पालन सभी निजी स्कूलों को करना होगा. जिला प्रशासन ने एनसीआरटी की पुस्तके चलाने का निर्देश स्कूलों को दिया है.

ये हैं 12 मुख्य बिन्दु…

  • प्रत्येक स्कूल प्रायमरी कक्षा से हायर सेकेंडरी तक की कक्षाओं के लिए सभी विषयों की एनसीईआरटी की ही पुस्तकें चलाना अनिवार्य है. सपोर्टिंग बुक्स के रुप में किसी भी अन्य प्रकाशन की पुस्तकें नहीं चला सकते.
  • नर्सरी केजी कक्षाओं के लिए सभी स्कूल जिन प्रकाशक की किताबें चलाएंगे. उसकी सूची सत्र आरंभ के 2 माह पहले डीईओ कार्यालय भेजेंगे.
  • सत्र 2020-21 में एनसीईआरटी पुस्तकों के अलावा अन्य प्रकाशकों की सपोर्टिंग पुस्तके चलाई जाना है, उसकी सूची 3 महीने पहले डीईओ कार्यालय भेजी जाए.
  • स्कूल साल में केवल 10 माह की फीस ही ले सकेंगे.
  • पालक समिति का गठन करें और प्रत्येक 2 माह में आवश्यक रुप से समिति की बैठक हो.
  • गणवेश और बच्चों के उपयोग सामग्री की सूची स्कूल लगने के 2 महीने पहले शिक्षा विभाग भेजें.
  • शाला प्रबंध समिति की बैठक जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी व प्रतिनिधी की उपस्थिती में अनुमोदन के बाद ही शिक्षण शुल्क का निर्धारण स्कूल संचालक करें. यदि समिति की सर्व सम्मति से सकारण शुल्क में वृद्धि करने आवश्यक है तो वह न्यूनतम हो.
  • सभी स्कूल सत्र 2017-18 एवं 2018-19 का मदवार शुल्क विवरण, सत्र 2016*17 एवं 2017-18 के आडिट रिपोर्ट के साथ 3 दिन में डीईओ कार्यालय में प्रस्तुत करें.
  • स्कूल में कार्यरत शिक्षक, कर्मचारी की शैक्षणिक योग्यता के साथ पूरी जानकारी शिक्षा विभाग में 3 दिन में भेजें.
  • स्कूल बसों के चालकों, कंडक्टरों और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों का पुलिस बेरीफिकेशन कराकर जानकारी भेजें.
  • स्कूल संचालक 3 दिनों में सीबीएसई मान्यता की प्रति भेजें.
  • पालकों की सहमति से 5 वर्षों में ही गणवेश में बदलाव कर सकते हैं.