जयपुर. क्या राजस्थान के कद्दावर नेता कर्नल सोनाराम की उम्र बीते चार साल में वहीं की वहीं थम गई है? सवाल उनके हलफनामे की वजह से उठा है।

दरअसल भाजपा सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा सीट के लिए भरे नामांकन पत्र के साथ शपथ पत्र में अपनी उम्र 73 वर्ष लिखी है। उन्होंने मई 2014 के आम चुनाव में अपने शपथ पत्र में भी इतनी ही उम्र लिखी थी। यानी शपथ पत्रों के हिसाब से बीते लगभग साढ़े चार साल में सांसद की उम्र बिलकुल नहीं बढ़ी।
सोनाराम का ये नामांकन पत्र और शपथ पत्र चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। सोनाराम चौधरी ने इसी 19 नवंबर को बाड़मेर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है।

2008 के विधानसभा चुनावों में चौधरी ने बाड़मेर जिले की बायतु विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। तब शपथ पत्र में उन्होंने अपनी उम्र 65 वर्ष बताई थी। इसके बाद 2013 में चौधरी ने उसी सीट से दोबारा चुनाव लड़ा। उस दौरान चौधरी ने अपनी उम्र 72 वर्ष बताई। मतलब चौधरी की उम्र पांच साल में सात साल बढ़ गयी। चौधरी के यह शपथ पत्र भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उल्लेखनीय है कि कर्नल सोनाराम चौधरी की गिनती मारवाड़ के कद्दावर जाट नेताओं के रूप में होती है।

चौधरी 1996, 1998, 1999 में बाड़मेर लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनावों में चौधरी पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह के सामने चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।

सोनाराम 2008 में बाड़मेर की बायतु विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे। इसके बाद 2013 में चौधरी ने इसी सीट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2013 में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद चौधरी 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह को हराकर लोकसभा पहुंचे।

भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनावों में सांसद सोनाराम चौधरी को इस बार बाड़मेर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। इधर निवार्चन अधिकारी नीरज मिश्रा ने बताया कि नामांकन पत्रों की जांच के दौरान पेश शपथ पत्रों में दर्ज तथ्यों की जांच का अधिकार उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। कोई अभ्यर्थी  गलत तथ्यों का वर्णन करता है तो उसके लिये व्यक्तिगत रूप से स्वयं जिम्मेदार होगा। इस संबंध में कोई भी निर्णय सक्षम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में होता है।