नई दिल्ली. राजधानी नई दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में पुस्तकों का विमोचन का दौर जारी है. लेकिन शनिवार का दिन छत्तीसगढ़ के लिए खास रहा क्योंकि प्रदेश के तीन साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन हुआ. इनमें पुराविद् राहुल कुमार सिंह द्वारा लिखित सिंहावलोकन, केवल कृष्ण द्वारा लिखित बोगदा अन्य कहानियां और राजीव रंजन प्रसाद द्वारा लिखित बस्तर अनकही और अनजानी कहानियां शामिल हैं.

पुराविद एवं छत्तीसगढ़ की संस्कृति के विशेषज्ञ राहुलकुमार सिंह द्वारा लिखित “सिंहावलोकन” छत्तीसगढ़ के इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व तथा परंपराओं पर केंद्रित तथ्यपरक आलेखों का संग्रह है. इस किताब में 26 आलेख संग्रहित है. यह कृति छत्तीसगढ़ को उसकी समग्रता के साथ प्रस्तुत करती हुई एक नये छत्तीसगढ़ से परिचित कराती है. उन्होंने वर्तमान राजनीतिक सीमाओं से परे जाकर इस प्रदेश को उसकी ऐतिहासिक सांस्कृतिक सीमाओं के विस्तार में देखा है और वर्तमान संदर्भ में टूट चुके अथवा टूट रहे तारों को मजबूती से जोड़ा है. “सिंहावलोकन” से पहले उनके द्वारा लिखित “एक थे फूफा” काफी लोकप्रिय हुई है.

मूलतः पत्रकार केवलकृष्ण द्वारा लिखित बोगदा और अन्य कहानियां में चार लंबी कहानियां संग्रहित हैं. मुख्य कहानी बोगदा एक औद्योगिक क्षेत्र में बसी मजदूर-बस्ती की कहानी है. इस कहानी के माध्यम से मजदूरों के शोषण, उनकी पीड़ा और अपनी दुर्दशा से बाहर आने की उनकी छटपटाहट को रेखांकित किया गया है. मजदूरों को इन परिस्थितियों से बाहर लाने के सद्प्रयासों, सद्विचारों और इन सबके बीच निहित विसंगतियों तथा आडंबरों को भी यह कहानी उजागर करती है.  इस कथा संग्रह से पहले उनका एक उपन्यास बघवा लोकप्रिय हो चुका है.