कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस के साथ ही बहुजन समाज पार्टी यानी हाथी भी लोकसभा चुनाव मैदान में है। अंचल की चार में से तीन लोकसभा सीटों पर हाथी के चिंघाड़ने के आसार भी दिख रहे है, लेकिन इसका क्या असर होगा, पढ़िए यह स्पेशल रिपोर्ट…

ग्वालियर चंबल अंचल में ग्वालियर भिंड मुरैना और गुना लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है क्योंकि यहां की चार में से तीन लोकसभा सीट पर हाथी पर सवार होकर कांग्रेस और बीजेपी के बागी चुनाव मैदान में उतर चिंघाड़ रहे हैं। यही वजह है कि इन सीटों पर हाथी की चाल BJP-CONG के राजनीतिक समीकरण बिगाड़ सकती है। आइए सबसे पहले आपको भिंड, मुरैना और ग्वालियर लोकसभा सीट के राजनीतिक समीकरण से रूबरू कराते है। जहां कांग्रेस के दो और भाजपा का एक बागी हाथी पर सवारी कर रहा है।

Special Report: जबलपुर में शरद यादव ने ढहाया था कांग्रेस का किला, फिर नहीं जमने दिए पैर, पिछले 3 दशक से बीजेपी का कब्जा

ग्वालियर लोकसभा सीट

ग्वालियर लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस से बागी होकर कल्याण सिंह कंषाना BSP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर BSP को कभी जीत हासिल नही हुई है, लेकिन BJP और CONG के हार जीत के अंतर में BSP की भूमिका अभी तक महत्वपूर्ण रही है और इस बार भी रहने वाली है। 1957 से अब तक 7 बार CONG और 4 बार BJP को जीत हासिल हुई लेकिन BSP ने समीकरण बिगाड़े।

मुरैना लोकसभा सीट

मुरैना सीट की बात की जाए तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस पार्टी ने सतपाल सिंह उर्फ नीटू भैया को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं बीजेपी से टिकिट न मिलने पर नाराज होकर रमेश गर्ग BSP के टिकिट पर चुनाव मैदान में है। इस सीट पर BSP को कभी जीत हासिल नही हुई है, लेकिन BJP और CONG के हार जीत के अंतर में BSP की भूमिका अभी तक महत्वपूर्ण रही है और इस बार भी रहने वाली है। 1967 से अब तक 8 बार BJP और 3 बार CONG को जीत हासिल हुई पर BSP ने समीकरण बिगाड़े।

Special Report: लोकसभा चुनाव में ‘आधी आबादी’ को नहीं मिली तवज्जो, MP में कांग्रेस ने एक महिला को दिया टिकट, बीजेपी ने 29 में सिर्फ 6 को चुनावी मैदान में उतारा

भिंड लोकसभा सीट

भिंड सीट की बात की जाए तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान सांसद संध्या राय और कांग्रेस पार्टी ने भांडेर विधायक फूल सिंह बरैया को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस से टिकिट न मिलने पर बागी होकर देवाशीष जरारिया BSP के टिकिट पर चुनाव मैदान में है। इस सीट पर भी BSP को कभी जीत हासिल नही हुई है, लेकिन BJP और CONG के हार जीत के अंतर में BSP की भूमिका अभी तक महत्वपूर्ण रही है, इस बार भी रहने वाली है। 1962 से अब तक 9 बार BJP और 3 बार CONG को जीत हासिल हुई पर BSP ने समीकरण बिगाड़े।

BSP ने जीत का किया दावा

ग्वालियर चंबल अंचल की इन तीनों सीटों पर हाथी को भले ही जीत हासिल न हो पाई हो, लेकिन दूसरे और तीसरे पायदान पर रहकर कहीं ना कहीं राजनीतिक दलों के समीकरण जरूर बिगाड़ता नजर आया है। यही वजह है कि इस बार BSP के तेवर अलग ही नजर आ रहे है। BSP जिलाध्यक्ष सतीश मंडेलिया ने दावा किया है कि इस बार हाथी दूसरे दलों के समीकरण ही नही बिगाड़ेगा बल्कि जीत भी हासिल करेगा।

Special Report: दोस्त बने दुश्मन, जिन्‍हें जिताने के लिए करते थे प्रचार, अब उन्हें हराने के लिए करनी पड़ेगी मेहनत, कांग्रेस से BJP में गए नेताओं के सामने बड़ी चुनौती

BJP बोली- बीएसपी का अस्तित्व गर्त में जा रहा है

वहीं BSP के दावे पर कांग्रेस और बीजेपी का भी बयान सामने आया है। बीजेपी के प्रदेश कार्य समिति सदस्य कमल माखीजानी का कहना है कि बीएसपी का जब आगाज मध्य प्रदेश में हुआ था तब उसने शुरुआत में अच्छी सफलता हासिल की थी, लेकिन पिछले समय को देखें तो उनकी टिकट वितरण व्यवस्था भी अजीब हो गई है वह इंतजार करते हैं कि बीजेपी और कांग्रेस के बागी सामने आ जाए तो वह हमें मिल जाए। इसलिए अब बीएसपी का अस्तित्व बढ़ने की जगह गर्त में जा रहा है, BSP अब समापन की ओर है।

मूल विचारधारा से भटक चुकी है BSP- कांग्रेस

बीएसपी के मामले में कांग्रेस भी बीजेपी के साथ सुर से सुर मिलाती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ राम पांडे का कहना है कि बीएसपी अपनी मूल विचारधारा से भटक चुकी है उसे BJP का डर है जिसके चलते वह बीजेपी की गोद में जाकर बैठ गई है। इसको मतदाता ठीक तरह से समझ चुका है। बीएसपी लगातार अपना मत प्रतिशत खोती जा रही है। BSP की स्थापना जब हुई थी तब संविधान की बात मूल रूप से होती थी और आज संविधान खतरे में है और बीएसपी चुप बैठी हुई है। इसलिए बीएसपी से अब मतदाताओं का जुड़ाव भी खत्म होता जा रहा है।

Special Report: ‘लखटकिया जीत’ वाली बीजेपी! इस नाम की ग्वालियर चंबल अंचल में खूब हो रही चर्चा, जानिए आखिर क्या है वजह ?

गौरतलब है कि अंचल की तीन लोकसभा सीट ग्वालियर, भिंड, मुरैना में राजनीतिक दलों के बागी हाथी की सवारी कर रहे हैं। ऐसे में हाथी की चाल राजनीतिक दलों का कितना समीकरण बिगाड़ती है, यह देखना होगा।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
Read More:- https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H