कुमार इन्दर, जबलपुर। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी, एनजीटी में विचाराधीन बक्सवाहा मामले में नया मोड़ आ गया है. ऑर्कियोलाॅजी विभाग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. जिसमें साफ किया गया है कि बक्सवाहा जंगल से मिली रॉक पेंटिंग पाषाण युग से संबंधित हैं. एनजीटी (NGT) और हाईकोर्ट के निर्देश पर आर्कियोलॉजी विभाग ने इस रॉक पेंटिंग का सर्वे करने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है.

मामले में जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने बताया कि ऑर्कियोलॉजी विभाग ने बक्सवाहा जंगल में सर्वे कर पाया है कि यहां पर तीन बड़ी रॉक पेंटिंग और अति प्राचीन मूर्तियां हैं, जो करीब 25 से 30 हजार साल पुरानी हैं. इससे साफ हो जाता है कि, इस क्षेत्र में आदिकाल से इंसान की बसावट हुआ करती थी. पीजी नाजपांडे का कहना है कि आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि हमको इतनी महत्वपूर्ण धरोहर मिली है. लिहाजा अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि इसे संजोकर रखा जाए.

इतिहास की नजर से महत्वपूर्ण है बकस्वाहा

प्री-हिस्टोरिक नजरियए से यह स्थान बेहद अहम है. जिस तरह घिमरखुआ में प्राचीन काल से जुड़ाव रखने वाली बेशकीमती चीजें पाई गई थीं. वैसे ही यहां भी तीन चीजें पाई गई हैं. पहली रॉक पेंटिंग, जो कि लाल रंग से बनाई गई थी. दूसरी जगह पर कुछ रॉक पेंटिंग पाषाण युग के मध्यकाल से संबंधित हैं. इनका सृजन लाल रंग व चारकोल से हुआ था, तीसरी रॉक पेंटिंग मानव इतिहास से जुड़ी है. इसे लाल रंग से बनाया गया है, इसमें युद्ध का दृश्य दर्शाया गया है.

बक्सवाहा हीरा खदान बंद जरने की मांग

बक्सवाहा हीरा खदान की इजाज़त रद्द करने के लिए एनजीटी (NGT) में याचिका लगाई गई है. बताया जाता है कि इस जंगल के बीच जमीन के नीचे करीब साढ़े तीन करोड़ कैरेट हीरे का भंडार मौजूद है. इसकी अनुमानित कीमत करीब 60 हजार करोड़ रुपए है. डायमंड माईनिंग प्रोजेक्ट के तहत इन हीरों को निकालने के लिए जंगल के करीब ढाई लाख पेड़ काटे जाएंगे. पेड़ काटकर हीरे निकालने का प्रोजेक्ट पहले साल 2000 में रियो टिंटो कंपनी को मिला था. लेकिन वह कंपनी छोड़कर चली गई. अब ये प्रोजेक्ट बिड़ला ग्रुप की एक्सल माइनिंग एंड इंड्रस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी को दिया गया है, जो इसपर काम करना चाहती है.

विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में करें स्थापित

हाईकोर्ट व NGT में जनहित याचिका लगाने वाले डॉक्टर पीजी नाजपांडे के मुताबिक अभी तक बक्सवाहा की पहचान अपने गर्भभंडार में हीरा होने के चलते थी, लेकिन अब उसकी नई पहचान मानव सभ्यता के इतिहास को प्रदर्शित करने वाली रॉक पेंटिंग बन सकती है. यदि इसे विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्र के रूप में प्रचारित किया गया तो बक्सवाहा के जंगलों से मध्य प्रदेश सरकार को बिना कोई खदान लीज पर दिए, करोड़ों का राजस्व हमेशा मिलता रहेगा. आर्कियोलॉजी विभाग अपनी रिपोर्ट NGT के अलावा हाईकोर्ट में भी पेश करने की तैयारी में है.

पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे मौजूद

ये भी बताया जाता है कि बकस्वाहा जंगल के अलावा पन्ना में भी हीरे के भंडार मौजूद है. यहां करीब 22 लाख कैरेट हीरे हैं. जबकि बकस्वाहा के जंगल में इससे कहीं ज्यादा 3 करोड़ 42 लाख कैरेट हीरे हैं.

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