ज्योतिष शास्त्र में सूर्यदेव ग्रहों के अधिपति माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, यश, तेज, आरोग्यता, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक माना गया है. सूर्य की आराधना से व्यक्ति को सूर्य के समान तेज और यश की प्राप्ति होती है. सूर्य को मजबूत करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है.
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भगवान श्रीराम ने भी की थी स्तुति
आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य देव को प्रसन्न व उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है. आदित्य हृदय स्तोत्र का उल्लेख रामायण में वाल्मीकि जी द्वारा किया गया है, जिसके अनुसार इस स्तोत्र को ऋषि अगस्त्य ने भगवान श्री राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए दिया था. शास्त्रों में इस स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही शुभ व लाभकारी बताया गया है. सूर्य को जल देते समय गायत्री मंत्र का जाप करें और वही सूर्यदेव के समक्ष आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. Read More – मैनेजर को याद आए Satish Kaushik के आखिरी लफ्ज, एक्टर ने कहा था ”मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बचा लो” …
शुक्लपक्ष के किसी भी रविवार को उत्तम रहेगा
इस पाठ को यदि शुक्ल पक्ष के किसी रविवार को किया जाए तो उत्तम रहता है. यदि इस पाठ का पूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं तो नित्य सूर्योदय के समय इसका पाठ करना चाहिए. पाठ समाप्त हो जाने के पश्चात सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें नमस्कार करें. यदि प्रतिदिन पाठ नहीं कर सकते तो प्रत्येक रविवार को भी कर सकते हैं. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करते हो उन्हें रविवार के दिन मांसाहार, मदिरा तथा तेल का प्रयोग न करें. संभव हो तो रविवार को नमक का सेवन भी न करें. Read More – शतभिषा नक्षत्र में पहुंचे शनिदेव, तीन राशियों के लिए सबसे ज्यादा लकी, अपनी स्वराशि में विराजमान हैं शनि …
किनको इसका पाठ करना चाहिए
- अगर राज्य पक्ष से पीड़ा हो, कोई सरकारी मुकदमा चल रहा हो.
- लगातार रोग परेशान कर रहें हों, ख़ासतौर से हड्डियों या या आंखों के रोग. अगर आंखों की समस्या गंभीर रूप से परेशान कर रही हों.
- जीवन के किसी भी बड़े कार्य में सफलता के लिए भी इसका पाठ उत्तम होगा. जो लोग प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे हों, ऐसे लोगों को शीघ्र सफलता के लिए इसका पाठ करना चाहिए.
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