शिवम मिश्रा, रायपुर। पाकिस्तान से आतंकी फंडिंग मामले में रायपुर पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. पुलिस 9 साल से फरार आरोपी राजू खान को पश्चिम बंगाल के दुर्गानगर से गिरफ्तार कर रायपुर लाई है.  पुलिस के मुताबिक पाकिस्तान के कराची से डायरेक्ट राजू खान के खाते में पैसा ट्रांसफर होता था, इसके बाद ये शातिराना तरीके से ‘सीमी गिरोह’ को लाखों रुपये देता था. ये सिलसिला कई साल से चल रहा था. अब पुलिस ने काले कारनामे का पर्दाफाश किया है. मास्टर माइंड राजूखान को गिरफ्तार कर लिया है. इसके पहले 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिसमें से 4 लोगों को सजा मिल गई है. वहीं 1 आरोपी श्रवम मंडल अभी भी फरार है.

पूरे मामले का खुलासा करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तारकेश्वर पटेल और साइबर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक माहेश्वरी ने बताया कि 9 साल से फरार आतंकी फंडिंग का आरोपी राजू खान को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया है. 2013 में मामला उजागर होते ही एफआईआर दर्ज कर विवेचना में लिया गया था.

पूर्व में गिरफ्तार आरोपी धीरज साव निवासी ट्रांसपोर्ट नगर खमतराई जो चिकन ठेला लगाता था. वह पाकिस्तान के किसी खालिद नामक व्यक्ति से जुड़ा था, जो आतंकवादी संगठन सीमी इंडियन मुजाहीद्दीन के लोगों को बैंक के माध्यम से पैसा भेजता था. आरोपी से पूछताछ में कई और नामों का खुलासा हुआ था. आरोपियों के पास पाकिस्तान से किसी खालिद नाम के व्यक्ति का फोन आया था, जिसमें उसने पैसा कमाने का लालच देकर इन लोगों को जोड़ लिया था.

जानकारी के मुताबिक धीरज साव ने अपने साथ मौसेरे भाई श्रवण मंडल और राजू खान को भी इसी काम मे जोड़ लिया था. आरोपियों के पास पाकिस्तान के कराची से पैसा आता था. वह 13 प्रतिशत काटकर शेष राशि जुबैर खान और आयशा बानो के खाते में डलवाया करते थे.

मामले से जुड़े उच्च पदस्त सूत्र बताते हैं कि राजू खान पिछले 8-9 साल से आतंकवादी संगठन से जुड़कर उनकी फंडिंग में मदद करता था. आरोपी राजू खान अब तक करीबन 30-35 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन कर चुका था. पूरे मामले के उजागर होते ही राजू खान फरार हो गया था, जो पश्चिम बंगाल में फरारी काट रहा था.

इस मामले में हाल ही में जब गिरफ्तारी आरोपियों को सजा सुनाई गई, तो राजू खान कुछ लोगों के संपर्क में आया था, जिसकी जानकारी पुलिस के गुप्त सूत्रों को मिल गई थी, जिसके बाद एसएसपी प्रशांत अग्रवाल के निर्देश पर सीएसपी उरला विश्ववदीपक त्रिपाठी और एसआई अजय झा के नेतृत्व में टीम पश्चिम बंगाल रवाना हुई थी. पुलिस ने आरोपी को दुर्गानगर से गिरफ्तार कर रायपुर ले आई है.

गौरतलब है कि 25 अक्टूबर 2013 को रायपुर में टेरर फंडिंग के शहरी नेटवर्क का खुलासा हुआ था. धीरज साव, पप्पू मंडल समेत सुखेन हलधर ने रायपुर, बिहार और पश्चिम बंगाल में फर्जी नामों से खाता खुलवाकर पकिस्तान से संगठन के लिए आने वाले पैसों को इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य जुबैर हुसैन और आयशा खातून को भेजते थे. रायपुर से गिरफ्तार हुआ धीरज साव 2011 से पाकिस्तान के आतंकी खालिद से संपर्क में था. धीरज साव वालिया कॉम्पलेक्स खमतराई में रहकर ठेला लगाता था.

जमुई का रहने वाला है धीरज
गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने 25 दिसंबर 2013 को धीरज साव को गिरफ्तार कर लिया था. पूछताछ की तो पता चला कि वो बिहार के जमुई का रहने वाला है. उसने नुरीनिशा खान और कुलदीप ओझा के फर्जी पहचान पत्र बनवाकर रायपुर के आईसीआईसीआई बैंक के सरस्वती नगर शाखा में फर्जी अकाउंट खुलवाया.

पाकिस्तानी शख्स खालिद उसको पैसे भेजता था. धीरज 13 प्रतिशत कमीशन काटकर उसे जुबैर हुसैन और आयशा बानो को ट्रांसफर करता था. आरोपी का खाते की जांच की गई तो उसमें पाकिस्तान से आये करीब 25 लाख रुपये जुबैर और आयशा को भेजने का खुलासा हुआ था.

पुलिस धीरज की निशानदेही पर इंडियन मुजाहिदीन के सक्रीय सदस्य जुबैर हुसैन और आयशा बानो को गिरफ्तार कर रायपुर लेकर आई थी. पप्पू मंडल और सुखेन हलधर को भी जमुई बिहार और जिला वर्धमान पश्चिम बंगाल में खाते खुलवाये थे उसमें भी पाकिस्तान से पैसे आने की प्रमाण मिले थे जिसके बाद रायपुर पुलिस ने पप्पू मंडल और सुखेन हलधर को भी गिरफ्तार कर रायपुर लाई थी.

 

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