रायपुर. प्रदेश में धान खरीदी से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बयानबाजी शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि उसना चावल की ख़रीदी नहीं की जाती है, बारदाने की कमी दूर नहीं होती है. प्रदेश के पूरा मंत्रिमंडल प्रधानमंत्री से मिलेंगे और इसके लिए उन्होंने मिलने के लिए समय मांगा जाएगा.

 नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक के उस बयान पर CM ने पलटवार किया जिसमें ये कहा गया था राजनीति छोड़ किसानों का धान ख़रीदे सरकार.

इस बयान पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके अल्पज्ञान से मुझे तरस आता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जूट कमिश्नर का पद क्रिएट किया हुआ है और यही से देश भर के लिए जूट बारदाने के लिए व्यवस्था की गई है. यही उपलब्ध कराता है हमने कहा कि हमें और भी झूट की आवश्यकता पड़ेगी. साथ-साथ प्रधानमंत्री को पत्र लिखा यदि उसना चावल के लिए प्रधानमंत्री से अनुमति मिल जाती है तो अच्छी बात नहीं, तो प्रदेश के मंत्रिमंडल वहां उनसे मिलने के लिए समय लेंगे.

बता दें कि कौशिक ने कहा था कि बोरे में राजनीति नहीं, किसानों का धान ख़रीदे सरकार. उन्होंने कहा था कि पिछले साल भी धान ख़रीदी के वक़्त भूपेश सरकार ने बोरे को लेकर जमकर राजनीति की थी. बार-बार जनता के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है. सरकार बोरे की सप्लाई नहीं कर पा रही.  जान बूझकर सरकार ऐसी स्थिति निर्मित कर रही है. उन्होंने कहा कि किसानों को बोरा उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी सरकार की है.

कौशिक का कहना था कि सरकार ने विधानसभा में ये जवाब दिया है कि बोरा उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी है. विधानसभा में बीजेपी विधायक रजनीश सिंह के सवाल पर मंत्री ने ये जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य की ओर से समय पर बोरे की डिमांड भेजी जानी चाहिए.  छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश भर के राज्यों को बोरे की सप्लाई जूट कमिश्नर के ज़रिए होती है. राज्य अपनी डिमांड के मुताबिक़ बोरे प्राप्त करते हैं. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि किसान 1300 रुपए में धान बेचने पर मजबूर हो रहे हैं.

 

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