रायपुर. लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के विरोध में माकपा, सीटू, आरडीआईईयू, एमपीएमएसआरयू और अन्य श्रमिक व जनसंगठनों के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को राजधानी रायपुर के घड़ी चौक स्थित अंबेडकर प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय सिंह को बर्खास्त करने की मांग की है.

संगठनों ने कहा कि किसानों की हत्यारी भाजपा सरकार ने किसानों के साथ बर्बर नरसंहार किया. इस घटना का पुरजोर विरोध करते हैं. प्रदर्शन में मोदी-योगी सरकार की किसान मजदूर विरोधी नीतियों की कड़ी भर्त्सना करते हुए तीव्र आक्रोश जाहिर किया गया. यहां हुई सभा को सीटू के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र, संयुक्त ट्रेड यूनियन कौंसिल के सचिव एस सी भट्टाचार्य, प्रदीप मिश्रा, अतुल देशमुख, अलेकजेंडर तिर्की ने संबोधित किया. उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों की सबसे भीषण हत्याओं की कड़ी निंदा की. वक्ताओं ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे ने जानबूझकर किसानों के ऊपर अपना वाहन चलाकर किसानों की हत्या कर दी. प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा यह भी बताया गया है कि उसने और उसके गुर्गों ने निहत्थे किसानों पर गोलियां भी चलाई थीं.

वक्ताओं ने कहा कि एक चौंकाने वाली घटना में हरियाणा के मुख्यमंत्री आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं को संघर्षरत किसानों पर शारीरिक हमले करने का निर्देश देते हुए भी कैमरे में कैद हुए हैं. ऐसा लगता है कि कॉरपोरेट समर्थक सत्तारूढ़ वर्तमान सरकार किसी भी कीमत पर अपने आकाओं की सेवा करने के लिए पूरी तरह से तत्पर है. इसलिए इस फासीवादी सत्ता ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांगों को मानने के बजाय खुले दमन का सहारा लिया है. सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, जहां मुजफ्फरनगर किसान रैली में किसान पंचायत द्वारा घोषित ‘‘मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करना बहुत जरूरी है.
बीजेपी को हराएं मिशन’’ जिसने पहले ही योगी सरकार की चिंताएं बढ़ा दी है, जिससे बौखलाकर उन्होंने अपने फासीवादी चरित्रों के अनुरूप किसानों के खिलाफ बर्बर हिंसा का सहारा लिया है.

वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना ने यह साबित कर दिया है की यह सरकार किसान एवं मजदूर विरोधी है, इसीलिए यह सरकार लगातार किसान एवं मजदूर विरोधी कदम उठा रही है मजदूर एवं किसानों सहित आम जनता को राहत देने के लिए ऐसी जनविरोधी सरकार को उखाड़ फेकना जरूरी है. वह विपक्षी दलों तक को वहां पीड़ितो से मिलने जाने पर रोक लगा रही है. उसने इंटरनेट तक पर रोक लगा दी. यह केवल किसान आंदोलन नही लोकतंत्र को कुचलने का अभियान है जिसका जनता को तीव्र प्रतिवाद करना होगा.

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प्रदर्शन के माध्यम से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को तुरंत बर्खास्त करने और उनके विरूद्ध हिंसा उकसाने तथा साप्रदायिक विव्देष फैलाने का मुकादमा दर्ज करने, मंत्री के बेटे आशीष मिश्र और उसके साथी गुंडों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने,
इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने और शहीद परिवारों को एक करोड़ रूपये तथा नौकरी के साथ घायलों को 25 लाख का मुआवजा दिए जाने की मांग की गई.

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से धर्मराज महापात्र, एससी भट्टाचार्य, अतुल देशमुख, अलेकजेनडर तिर्की, प्रदीप मिश्रा, चंद्रशेखर तिवारी, मारुति डोंगरे, राजेश पराते, ललित वर्मा, संदीप सोनी, निसार अली, मसूद अंसारी, केके साहू, मनोहर साहू, एएल मणि, मयंक, पीडी सोनवानी, ऋषि मिश्रा, विकास वर्मा, अभिजीत चक्रवर्ती, साजिद रजा, अजय कन्नोजे, पवन सक्सेना सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे. सभा के दौरान रंगकर्मी निसार अली ने कविता पाठ किया. इसके बाद केंडल जलाकर सभी शहीद किसान साथियों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

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