रायपुर। राजधानी रायपुर से सटे तिल्दा इलाके के जलसो गांव में 5000 पेड़ों का कत्लकांड अब तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले में रायपुर जिला प्रशासन पर कई सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. वन विभाग से लेकर अधिकारी-कर्मचारी भी सवालों के घेरे में आ गए हैं. हजारों हरे भरे पेड़ कटने और जांच मामले में पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल ने सवाल उठाए हैं. देवजी भाई ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा फॉरेस्ट विभाग से कराई गई जांच संदेह में है. एक ही दिन में विभाग ने जांच कर लिया है.  

5000 वृक्षों की कटाई

दऱअसल, खरोरा और तिल्दा के बीच जलसो गांव में निजी जमीन के 5000 पेड़ों की कटाई मामले में फॉरेस्ट जांच पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है. फॉरेस्ट ने सभी पेड़ों को नीलगिरी बताया है.  फॉरेस्ट विभाग के मुताबिक नीलगिरी के पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. इस मामले में पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल समेत कई अन्य लोगों ने कहा है कि मौके पर कई पेड़ दूसरी प्रजाति के भी कटे मिले हैं, जिनको काटने से पहले अनुमति लेना आवश्यक होता है.

BJP ने सरकार पर दागे कई सवाल

देवजी भाई पटेल ने लल्लूराम डॉट कॉम की टीम के साथ बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि 120-25 एकड़ जमीन में लगे पड़ों की कटाई की गई है. कटाई के लिए कलेक्टर और वन विभाग से अनुमति लेनी की जरूरत थी. स्थानीय लोगों को जानकारी देने की जरूरत थी. पर्यावरण स्तर पर नुकसान हुआ है. इमारती लकड़ी नहीं हैं, तो क्या हुआ पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचा है. कलेक्टर को मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है. उद्योगपति को पंच-सरंपच समेत प्रशासन की जानकारी में पेड़ों की कटाई करानी चाहिए थी.

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देवजी भाई पटेल ने कहा कि  कलेक्टर ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की. आस-पास में बहुत सारे उद्योगिक क्षेत्र हैं, जिससे पर्यावरण दूषित हो रहा है. ऐसे में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है. कलेक्टर को कार्रवाई करने जरूरत थी. रायपुर जिले में प्रदूषण अधिक मात्रा में है. साथ ही कहा कि वहां पावर प्लांट भी है, जिससे पर्यावरण प्रभावित हो रहा है.

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देवजी भाई पटेल ने इस दौरान फॉरेस्ट विभाग पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार देख रहा हूं कि सरकार की ओर से किसी इंडस्ट्री वाले के लिए सफाई पेश की जा रही है. सरकार की ओर से अखबारों और न्यूज चैनल्स में चल रहे खबरों का खंडन किया जा रहा है.

दरअसल जिला प्रशासन की ओर से विज्ञप्ति जारी कर कहा गया था कि वर्तमान में किसी भी प्रकार की कोई भी कटाई नहीं की गई है. यह प्रकरण राजस्व भूमि का है. नीलगिरी वृक्षो के रोपण एवं कटाई कार्य व्यक्तिगत रूप से किया जा रहा है. नीलगिरी वृक्षों की कटाई की अनुमति शासन से छूट प्राप्त है. वन विभाग एवं राजस्व विभाग से निजी भूमि के नीलगिरी के काटे जाने के संबंध में अनुमति की आवश्यकता नहीं है.

बता दें कि स्थानीय लोगों की माने तो नीलगिरी के साथ अन्य पेड़ भी काटे गए हैं, जिससे पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचा है. जलसो गांव के लोगों ने कहा कि 125 एकड़ में करीब 5000 पेड़ थे. घने जंगल जैसा नजर आता था, लेकिन अब कटे हुए पेड़ों के ठूंठ ही नजर आते हैं. एक बड़े उद्योगपति ने फैक्ट्री लगाने के लिए पेड़ों की कटाई कराई है. स्थानीय पर्यावरणप्रेमी उद्योगपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहें हैं.

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