रायपुर। आज की मौजूदा स्थिति में ऑक्सीजन की कीमत जरा उनसे जाकर पूछिए, जो दर-दर की ठोकरे खाने के बाद भी ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे समय में लोगों के जहन में कई बातें सामने आ रही है. काश हम पर्यावरण को सुरक्षित रख पाते. पेड़ों की सुरक्षा कर पाते. वातावरण हरा भरा रख पाते. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जलसो में 5 हजार हरे भरे पेड़ों को काट दिया गया. अब इसे लेकर बीजेपी के पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. वहीं छत्तीसगढ़ शिवसेना ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कार्रवाई करने की मांग की है.

पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर ने ट्वीट कर कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार…. वानिकी की खेती के लिये तथाकथित रूप से प्रोत्साहन राशि ला रही है. 5000 से ज्यादा पेड़ काट डाले गये, उसके लिए सजा तो दूर निरीक्षण का भी प्रावधान नहीं है… कोई रसूखदार ₹ ₹ ₹ ले दे कर फैक्ट्री तो नहीं लगा रहा है….?

छत्तीसगढ़ शिवसेना ने कलेक्टर एस भारती दासन को पत्र लिखा है. खरोरा क्षेत्र के 105 एकड़ क्षेत्र में 5000 हरे भरे पेड़ अवैध रूप काटे जाने पर तत्काल कार्रवाई करने की माग की है. पत्र में लिखा है कि खरोरा तिल्दा क्षेत्र इंडस्ट्रीयल एरिया के क्षेत्र में आता है. इस क्षेत्र के बरतोरी ग्राम के समीप जलसो गांव के लगभग 105 एकड़ क्षेत्र में घने और हरे भरे बड़े 5000 पेड़ों को केवल डेढ माह के अंदर चोरी छिपे अवैध रूप से बिना किसी अनुमति के लॉकडाउन के दौरान काट दिया गया है. वर्तमान समय में पेड़ का काटा जाना हत्या जैसे अपराध की श्रेणी में आता है. जिनमें भागीदार सभी दोषी लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिलनी चाहिए.

कोरोना काल में ऑक्सीजन प्राणवायु के सख्त जरूरत की पूर्ति करने वाला पेड़ बिना किसी अनुमति के काट दिया गया है. साथ ही जलवायु के भीषण क्षति के बाद भी उक्त 5000 पेड़ों की कटाई घोर अपराध है. जंगल की निगरानी करने वाले वन विभाग से पूछे जाने पर कहा गया कि जलसो ग्राम में इंडस्ट्रीयल प्लांट लगाया जाना है. जिसके 125 एकड़ खरीदे गये ज़मीन पर उक्त पेड़ लगे हुए थे जो किसी बड़े उद्योगपति का बताया जा रहा है. 

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उद्योगपति ने पेड़ों की चढ़ा दी बलि

दरअसल कुछ दिनों पहले तक रायपुर जिले के तिल्दा इलाके के जलसो गांव में हजारों हरे भरे पेड़ लहलहाते थे. ये 120 एकड़ का पूरा इलाका किसी घने जंगल जैसा नजर आता था, लेकिन कुछ दिन पहले यहां हजारों हरे भरे पेड़ों को बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के काट दिया गया. अब यहां छोटे पौधे और कटे हुए पेड़ों के ठूंठ ही नजर आते हैं. जलसो गांव के लोग बताते हैं कि एक बड़े उद्योगपति ने फैक्ट्री लगाने के लिए इन पेड़ों को कटवा दिया. पेड़ काटने के लिए उद्योगपति ने जिला प्रशासन से किसी तरह की अनुमति नहीं ली. अब स्थानीय पर्यावरणप्रेमी उद्योगपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहें हैं.

5 हजार से ज्यादा पेड़ों की हत्या   

इस मामले के उजागर होने के बाद आसपास के गांव वालों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन मामले की लीपापोती में जुट गया है. गांव वालों के मुताबिक कलेक्टर और डीएफओ सफाई देने में जुटे हैं कि उद्योगपति ने अपनी निजी जमीन पर नीलगिरी का प्लांटेशन कराया था. नीलगिरी को काटने के लिए किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक डीएफओ ने जब निरीक्षण किया, तो 4 घंटे में 1600 से ज्यादा पेड़ों की कटाई  किए जाने की जानकारी दी, जबकि 5000 से ज्यादा पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई है.

अवैध कटाई का विरोध में आंदोलन की चेतावनी

गांव के सरपंच का दावा है कि काटे गए पेड़ों में से सागौन प्रजाति का पेड़ भी शामिल है, जिसको काटने के लिए कलेक्टर की अनुमति लेनी होती है, लेकिन प्रभावशाली उद्योगपति ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर नियम कानून को ठेंगा दिखा दिया है. सरपंच सहित गांव के जागरुक लोगों ने इस अवैध कटाई का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर आगे तक जाएंगे. उद्योगपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे.

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जन आंदोलन करेंगे स्थानीय

जनपद सदस्य चंद्रकांत साहू ने कहा कि जहां पूरे भारत मे ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं. वहीं बड़ी कंपनियों के बड़े अधिकारी और मंत्रियों के साथ मिलीभगत कर पेड़ काटे जा रहे हैं. अगर यही एक पेड़ भी कोई गरीब काटता है, तो उसके ऊपर कार्रवाई हो जाती. उन्होंने लॉकडाउन के बाद जन आंदोलन करने की बात कही.

स्थानीय प्रशासन को आवेदन देना अनिवार्य

नियमों के मुताबिक राजस्व भूमि पर पेड़ नीलगिरी के हैं, तो उसे कटवा सकते हैं. हालांकि पेड़ काटने के पहले भौतिक सत्यापन जरूरी है. यह तब और जरूरी हो जाता है, जब पेड़ों की संख्या अधिक हो. भौतिक सत्यापन के लिए स्थानीय प्रशासन को आवेदन देकर सूचना देनी होती है, जिससे यह साबित हो सके कि कटाई वैध है.

क्या होगी कार्रवाई ?

देशभर में ऑक्सीजन की मारा-मारी जारी है. सांसों को लेकर जद्दोजहद जारी है. इसका मुख्य कारण अवैध कटाई है, जिससे पर्यावरण को खासा नुकसान हो रहा है. आज इंसान को पैसे में खरीदकर सांस लेनी पड़ रही है. इसकी वजह पेड़ों की अवैध कटाई है, लेकिन उद्योगपति कानून को ताक में रखकर कुल्हाड़ी चला रहे हैं. अब देखना होगा कि शासन-प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई करता है.

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