प्रतीक चौहान. रायपुर. बिलासपुर के एक डॉक्टर ने अपने कोरोना पीड़ित माता-पिता के इलाज के लिए अमेरिका से इंजेक्शन मंगवाया. ये वहीं इंजेक्शन है जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी लग चुका है. इसके लिए उन्होंने 4 दिन तक इंतेजार किया. इसे अब एंटीबॉडी कॉकटेल के नाम से जाना जा रहा है.

बिलासपुर के डॉ सिद्धार्थ ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि उनके माता-पिता डॉ सुनीता वर्मा और डॉ सुरेश कुमार वर्मा दोनो को वैक्सीन की दोनो डोज लग चुकी है. इसके बाद उन्हें कोरोना के कुछ लक्षण पिछले दिनों दिखे. जांच के बाद दोनो की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. जिसके बाद उन्होंने एंटीबॉडी कॉकटेल थैरेपी से इलाज करने का विचार किया.

चूंकि दोनो हाई रिस्क ग्रुप से आते है. इसलिए डॉक्टर बेटे ने उनके कॉम्पलीकेशन को कम करने के लिए आनन-फानन में अमेरिका से उक्त इंजेक्शन मंगवाने तत्काल दवा कंपनी से संपर्क किया. अमेरिका से भारत और बिलासपुर ये इंजेक्शन महज 4 दिनों में पहुंच गया.

तब तक उन्हें किसी भी प्रकार की कोई दवा नहीं दी गई. जैसे ही ये इंजेक्शन बिलासपुर पहुंचा उन्होंने अपने माता-पिता को इसकी डोज दी. इंजेक्शन देने के 24 घंटे बाद ही उनके शरीर में मौजूद कोरोना लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगे और आज करीब 48 घंटे बाद दोनो पूरी तरह स्वस्थ्य है.

यहां यह बताना आवश्यक है कि अभी हाल ही में भारत सरकार ने इस इंजेक्शन के इमर्जेन्सी उपयोग हेतु अनुमति प्रदान की है, इसके पहले यह दवा अमेरिका, सिंगापुर, यूरोप और दुबई में उपयोग किया जा रहा था, जो कि काफी कारगर सिद्ध हुई है और नतीजे काफी सकारात्मक मिले हैं.

 60 हजार रुपए का है इंजेक्शन

एंटीबॉडी कॉकटेल इंजेक्शन की कीमत 60 हजार रुपए है. अब ये दवा भारत में विभिन्न अस्पतालों में इस्तेमाल होनी भी शुरू हो चुकी है. लेकिन ये दवा किन्हें लगनी है ये जानना और समझना बहुत जरूरी है. डॉ सिद्धार्थ वर्मा ने बताया कि ये इंजेक्शन उन मरीजों के लिए लाभकारी है जो अस्पताल में भर्ती नहीं है और वे ऑक्सीजन पर नहीं है. गंभीर मरीजों में इस इंजेक्शन के लगाने से उनकी मौत भी संभव है. इसलिए इस इंजेक्शन को देने से पहले दवा कंपनी एक फार्म भरवाती है जिसमें इन बातों का जिक्र होता है. ये पूछे जाने पर कि इतना महंगा इंजेक्शन ? तो वे कहते है कि ये इंजेक्शन महंगा जरूर है. लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद बनने वाली बिल से इसे किफायती उन्होंने बताया.

कौन है हाई रिस्क ग्रुप वाले मरीज ?

हाई रिस्क ग्रुप में उन मरीजों को रखा जाता है जिन्हें मोटापा, ब्लड प्रेशर की बीमारी, डॉयबिटीज़, कैंसर, किडनी की गंभीर बीमारी, ट्रांसप्लांट पेशेंट, प्रतिरोधक क्षमता का कम करने वाली दवाओं पर निर्भर मरीज, हृदय रोग, सीओपीडी सिकलिंग के मरीज, जन्मजात हृदय रोग, अस्थमा, कैंसर पीड़ित समेत अन्य.