पुरूषोत्तम पात्रा. गरियाबंद.  जिले के मैनपुर विकासखण्ड में अमलीपदर क्षेत्र के 13 गाव में वर्षा जल संचय के नाम पर तीन साल में करीब 5 करोड़ रूपए फूंक दिए गए है. दावा किया गया कि योजना में 1 हजार से भी ज्यादा आदिवासी कृषकों को सिंचाई सुविधा मिल रही है. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत बेहद चौकाने वाली है.

आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर के अमलीपदर क्षेत्र में भूमि सरंक्षण विभाग के इकाई माने जाने वाले जलग्रहण मिशन ने  कमार भुंजिया एवं आदिवासियों को वर्षा जल संचय कर सिंचाई सुविधा मुहैया कराने दाबरीगुडा, पदमपुर, ख़रीपथरा, कुहिमाल, मूढ़गेल माल, पोटापारा, पदमपुर, पानीगांव, कुंडेरापानी, अमलीपदर, बिरिघाटगोलमाल, भेजीपदर में बहने वाले बरसाती नालों में 11 से 22 लाख लागत के 30 से भी ज्यादा चेक डेम, स्टॉप डेम के निर्माण पर साढ़े 4 करोड़ खर्च किया. 40 से भी ज्यादा किसानों के खेत मे मुहि बंधान, मेड़ बंधान व फार्म पौंड के नाम पर लगभग 1 करोड़ खर्च किये गए.

मौजूद सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 70 फीसदी कार्य जलग्रहण मिशन ने मनरेगा के साथ मिलकर किया. यानी 70 फिसदी कार्यों पर मनरेगा व कृषि विभाग के पैसे बराबर लगे. जबकि 30 फिसदी कार्य, हरित क्रांति योजना, लघुत्तम सिंचाई योजना व टार्गेटिंग राइसफेलो योजना के नाम पर फूंके गए. इन योजनाओं के पीछे जलग्रहण समिति गठित कर 1 हजार से भी ज्यादा किसानों को सिंचाई सुविधा मिलने का दावा कागजों में विभाग करते आ रही है. जब हमने हकीकत जानने ग्राउंड जीरो तक पहुंचे तो मामले में कई आश्चर्यजनक खुलासे हुए.

गर्मी में तो बून्द भर पानी भी नहीं

मामले की सच्चाई जानने सबसे पहले हम अमलीपदर, बिरिघाट, पानीगांव में बहने वाले कुकुर जोर नाले पर पहुंचे. जहां बीते 2 वर्षों में जल ग्रहण मिशन के तहत महज 3 किमी के नाले में 9 चेक डेम बनाया गया है. किसी भी चेक डेम के गेट में पानी रोकने कोई लोहे का गेट या अस्थाई सन्साधन नहीं दिखे, पानी एक बूंद भी नजर नहीं आया. इन्ही तीन वर्षों में ही मूढ़गेलमाल से पदमपुर होते बिरिघाट तक आने वाले मूढ़गेलनाला में 7 चेकडेम व दो स्टॉप डेम नजर आया.

दाबरीगुड़ा स्टॉप डेम को छोड़ कर अन्य किसी मे भी पानी नहीं रुका था. कुंडेरापानी के बलिहार व पदमपुर के श्रीधर धुरवा ने बताया कि नाला के किनारे लगे लगानी जमीन निर्माण के जद में आ रहा था, उन्हें पूरी जमीन बारहिमास सिंचाई सुविधा का सपना दिखाकर स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया गया. पानी रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किया इसलिये खरीफ सीजन में तक उन्हें सिंचाई सुविधा नहीं मिलती. मेढ़ बंधान,मुहि बंधान व फार्म पौंड को भी किसानों ने फिजूलखर्ची बताया है.

योजना का लाभ  तो नहीं कर्ज दार बन गए आदिवासी

मुड़ागांव के सरपंच रह चुके भाजपा के आदिवासी नेता हलमन्त ध्रुवा ने बताया कि पिछले साल मूढ़गेलनाला में बनाये गए 4 चेकडेम छतपाल जाटव के कहने पर मैंने बनवाया. दुकानदारों के छड़ सीमेंट का बकाया अभी भी है. 30 लाख से ज्यादा का भुगतान मुझे लेना है पर जाटव फोन नहीं उठा रहे. हलमन्त ध्रवा ने कहा कि मैं मानसिक रूप से प्रताड़ित हूं जल्द ही थाने के शरण जाऊंगा.

समिति बनी है लाभकन्वित होने की रिपोर्ट

इलाके के प्रभारी एडीओ सीएस जाटव ने फोन रिसीव नहीं किया. कृषि उपसंचालक फागुराम कश्यप जो कि भूमि सरंक्षण विभाग के प्रभारी उपसंचालक भी है ने कहा कि लाभान्वित होने की रिपोर्ट बराबर आ रही है. वाटर सेड की कमिटी बनी हुई है. योजना से लाभ मिलने के फलस्वरूप इस वर्ष भी नए चेक डेम बनाया जा रहा है.