रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने शनिवार को शराब की अवैध बिक्री और शराबबंदी के मुद्दे पर राज्य सरकार पर हमला बोला. इसी मुद्दे पर राजेश मूणत ने पत्रकारों से चर्चा की. उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी को लेकर गंगा जल की कसम खाने वाले कांग्रेस नेता अपने ही वादे से मुकर गए. शराब दुकानों से ही शराब की अवैध बिक्री और चोरी करवाने में रोज नए कीर्तिमान बना रहे हैं.
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मूणत ने कहा कि शराबबंदी को लेकर सरकार ने एक कमेटी बनाई. उस कमेटी को बने 3 साल होने जा रहा है, लेकिन कमेटी की बैठक तक नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकारी नियंत्रण में चलने वाली शराब दुकानों से ही शराब की चोरी कर बिक्री की जा रही है. शराब बनाने के लिए स्प्रिट तक गांव-गांव पहुंच रहे हैं. गांवों में शराब के अवैध कारखानों का संचालन हो रहा है.
नशे का केंद्र बन गई राजधानी
मूणत ने कहा कि राजधानी कांग्रेस सरकार में नशे का केंद्र बन चुका है. कुछ दिन पहले 30 लाख शराब की पेटियों से भरा ट्रक पकड़ा गया था. आज राजधानी में नशीली सिरप, हशीश, हेरोइन, गांजा सभी नशे की चीजें सर्वसुलभ है. विशेषकर हीरापुर में अवैध शराब की फैक्ट्री पकड़ाने के बाद कल फिर इसी क्षेत्र में शराब की अवैध फैक्ट्री पकड़ी गई.
गांवों में शराब के अवैध कारखानों का संचालन
राजेश मूणत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए सवाल किया. उन्होंने कहा कि आखिर इन घटनाओं में किसी न किसी का दल या प्रभावशाली व्यक्ति का दखल प्रतीत होता है. सरकार के दावे फेल हो गए हैं. गांवों में शराब के अवैध कारखानों का संचालन हो रहा है.
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भाजपा सरकार ने शराबबंदी की दिशा में उठाये थे कदम
मूणत ने कहा कि भाजपा सरकार ने शराबबंदी को लेकर कई नीतिगत निर्णय लिए थे, जिसका कांग्रेस ने पहले विरोध किया, फिर उसी नीति को बदलकर एक नई कुनीति को जन्म दिया. उन्होंने बताया कि 2016 के आबकारी वित्तीय वर्ष से तात्कालीन भाजपा सरकार ने चरणबद्ध तरीके से पहले लगभग 164 शराब की दुकानें जो कि 2 हज़ार की आबादी वाले ग्रामों में थी उसे बंद किया था.
प्रतिबंध लगाने शराब दुकानों का शासकीयकरण
मूणत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य मार्ग राष्ट्रीय राज्य मार्ग और शहर के बीच की शराब दुकानों को आबादी क्षेत्र से 2 किलोमीटर दूर कर दिया. मकसद था चरणबद्ध शराबबंदी की शुरुआत में नशे से हतोत्साहित करना. इसी तरह अवैध शराब की बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने के मकसद से शराब दुकानों का शासकीयकरण किया गया.
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