बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने शुक्रवार को बिलासपुर के प्रार्थना भवन में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई की. इस दौरान एक महिला ने शिकायत की कि परिवहन विभाग में कार्यरत उसके पति शादीशुदा होने के बावजूद अन्य महिला के साथ अवैध संबंध में है. सभी जांच के बाद महिला आयोग ने उसके पति और अवैध संबंध में रहने वाली महिला पर्यवेक्षक के खिलाफ सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत विभागीय जांच के साथ ही निलंबन और निष्कासन की अनुशंसा की है.


जनसुनवाई में आवेदन करने वाली महिला के पुत्र ने डॉ किरणमयी नायक को बताया कि वह अपनी दादी के साथ स्वयं बलौदाबाजार में रहता है. उसके अन्य दो भाई बहन उस महिला पर्यवेक्षक के साथ रहते है. आयोग ने निर्णय दिया कि परिवहन विभाग के आरक्षक बिना तलाक लिए अवैध संबंधों को बढ़ावा दे रहा है. महिला विभाग ने आरक्षक के खिलाफ परिवहन विभाग के मंत्री और प्रमुख सचिव को पत्र भेजा है. पत्र में विभागीय जांच और सिविल सेवा आचरण के तहत जांच की मांग की गई है. साथ ही आरक्षक को जांच तक निलंबित रखने और जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्त करने की की बात भी है. महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत महिला को आज जनसुनवाई में बुलवाने के बावजूद वो नहीं आई. उनके विभागीय मंत्री एवं सचिव को विभागीय जांच और सिविल सेवा आचरण के तहत जांच की अनुशंसा की बात भी कही गई है. आप बेरोजगार है तो ये खबर जरूर पढ़े (बड़ी खबरः 168 पदों पर निकली सरकारी भर्ती)

एक महिला ने कार्यस्थल पर प्रताड़ना की शिकायत की 

जन सुनवाई में एक महिला ने कार्यस्थल पर प्रताड़ना की शिकायत की. शिकायत में आवेदिका ने बताया कि उनकी शिकायत पर आंतरिक परिवाद समिति ने अनावेदक का स्थानांतरण किया. इसे महिला ने अपर्याप्त मानते हुए आयोग के समक्ष आवेदन किया. इस मामले में आंतरिक परिवाद समिति की अनुशंसा से आवेदिका के असंतुष्ट होने पर उन्हें एक बार फिर अधिनियम 2013 कार्यस्थल पर प्रताड़ना की प्रकिया प्रारंभ करने और आयोग में आंतरिक परिवाद समिति की गठन की सूची भेजने कहा गया. इससे आयोग आंतरिक परिवाद समिति के सदस्यों को पूूछताछ के लिए तलब कर सके. (जया बच्चन)

भरण-पोषण के लिए दादा ने 3 हजार प्रतिमाह देने पर जताई सहमति

इसी प्रकार भरण-पोषण के प्रकरण में आवेदिका ने अपने अनावेदक ससुर के खिलाफ शिकायत की. जिसमें आयोग की सिफारिश पर बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अनावेदक ने जब तक उनका बेटा जेल से बाहर नहीं आ जाता तब तक 3 हजार रूपए प्रतिमाह देने पर सहमति जताई.

सुनवाई में 23 प्रकरण 

सुनवाई में लगभग 23 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से चार प्रकरण निवारण किए गए. सात नए प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं. 17 प्रकरणों पर सुनवाई की गई. शेष प्रकरणों की सुनवाई अगली जनसुनवाई में की जायेगी.