प्रतीक चौहान. रायपुर. संभावित तीसरी लहर में सबसे ज्यादा संक्रमित बच्चे होंगे, इसका कोई भी साइंटिफिक प्रमाण नहीं है. ये कहना है राजधानी रायपुर के शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ सांवर अग्रवाल का.

उन्होंने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि तीसरी लहर सिर्फ कयास है. लेकिन बड़ों की सुरक्षा और सावधानी से बच्चे संक्रमित नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना गाइडलाइन का पालन यदि अच्छे से किया जाएं तो बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सकता है.

उन्होंने किसी भी अन्य वैक्सीन से कोरोना के बचाव को नकार दिया है. उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को पोलियो की ड्रॉप पिलाई जाती है तो उसे पोलियो से ही बचाया जा सकता है, न कि कोरोना से. इसलिए पैरेंट्स ऐसे किसी भी भ्रम में न पड़े कि कोई भी वैक्सीन लगाने से बच्चे सुरक्षित हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. ट्रायल पूरा होने के बाद ही बच्चों को कोरोना के लिए वैक्सीन उपलब्ध होने की बात उन्होंने कही.

इन लक्षणों से रहे सावधान

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बुखार, कफ, सांस में कमी, थकावट, जोड़ों में दर्द, गले में दर्द, नाक से ज्यादा बलग़म निकलना, स्वाद और गंध का जाना – कुछ लक्षण हैं जो बच्चों में पाए जाते हैं. वहीं कुछ बच्चों में पाचनतंत्र की समस्या भी पाई जाती है. वहीं एक नया लक्षण भी देखा जा रहा है जिसमें शरीर के अलग-अलग अंगों में जलन की शिकायत पाई जाती है. ऐसे में लगातार बुखार बना रहता है.

कैसे करें देखभाल

  • जिन बच्चों में कोरोना के लक्ष्ण न दिखें उन्हें घर पर रखा जा सकता है. अगर परिवार के सदस्य कोविड पॉज़िटिव हैं तो स्क्रीनिंग के जरिए इन बच्चों की पहचान की जा सकती है. आगे के लक्षणों और इलाज के लिए इन पर लगातार निगरानी जरूरत पड़ती है.
  • वहीं बुखार, सांस की परेशानी, खराब गले से जूझ रहे बच्चों को जांच की जरूरत नहीं है और ऐसे बच्चों को घर में ही अलग कमरे में रखकर इलाज दिया जा सकता है. मंत्रालय ने कहा है कि अगर बच्चे दिल या फेफड़ों से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी से पहले से ही जूझ रहे हैं तब भी बेहतर होगा कि घर पर ही उनका इलाज किया जाए.
  • मध्यम कोरोना लक्षण वाले बच्चे की देखभाल नजदीकी हॉस्पिटल में कराएं. बच्चों को लिक्विड डायट देना चाहिए. छोटे बच्चों के लिए मां का दूध सबसे अच्छा होता है.
  • लंबे समय तक तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, दस्त डीहाइड्रेशन, पेट में तेज दर्द ,आंखों का लाल होना, शरीर पर दाने जैसे लक्षणों के अलावा बच्चों के बर्ताव में बदलाव तक को खतरे का संकेत मानन चाहिए और तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.