कैलाश रविदास, रायपुर. छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका वर्षों से लाल आंतक का दंश झेल रहा है. नक्सलवाद से लड़ते-लड़ते सैकड़ों जवानों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी. कई आंचल सूनीं हो गईं, लेकिन नक्सलवाद की समस्या आज भी बरकरार है. बस्तर में नक्सल हमलों का सिलसिला आज भी जारी है. कायर नक्सली अक्सर होली से पहले ही बड़ी वारदातों को अंजाम देकर ‘खून की होली’ खेलते हैं.
हाल ही में नारायणपुर में जवानों से भरी बस को IED से उड़ा दिया. 5 जवान शहीद हो गए. लेकिन ये घटना नक्सलियों के लिए खून की होली से कम नहीं है.
2020 सुकमा
28 नवंबर 2020 सुकमा में IED ब्लास्ट की चपेट में असिस्टेंट कमांडेंट नितिन भालेराव शहीद हो गए. इस घटना में कोबरा बटालियन के 9 जवान घायल हुए थे.
सुकमा 2019
4 अगस्त 2019 को मुठभेड़ में 7 नक्सली मारे गए. इसमें 5 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल थे.
बीजापुर 2019
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में नक्सलियों ने पुलिस जवानों पर हमला किया था. हमले में 2 पुलिस जवान शहीद हो गए थे. इसमें एक ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गया था.
दंतेवाड़ा 2019
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सोमवार को हुए नक्सली हमले में उन्नाव के रहने वाले सीआरपीएफ जवान शशिकांत तिवारी शहीद हुए थे. घात लगाकर हुए इस हमले में पांच अन्य लोग घायल हुए थे.
सुकमा 2017
छत्तीसगढ़ के सुकमा में लंच करने को बैठे जवानों पर घातक हमला हुआ था, जिसमें 25 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे.
सुकमा हमला 2017
2017 में भी नक्सली 11 मार्च को सुकमा के भेजी में 60 नक्सलियों ने 219 बटालियन के 112 जवानों पर हमला बोल दिया था. इसमें 12 जवान शहीद हो गए थे. ये भी होली का ही वक्त था. 12 परिवार समेत प्रदेशभर में सन्नाटा पसरा था. 12 परिवार ने अपने वीर सपूत और बेटों को खो दिया था. इस हमले के बाद CRPF के जवानों ने होली मनाने से इनकार कर दिया था.
सुकमा 2017
सुकमा जिले में अवरुद्ध सड़कों को खाली करने के काम में जुटे सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला कर दिया था. इस हमले में 11 जवान शहीद हो गए और 3 से ज्यादा घायल हो गए थे.
झीरम घाटी 2014
झीरम घाटी के पास ही एक इलाके में नक्सलियों ने एक और हमला किया. इसमें 15 जवान शहीद हुए थे. एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हो गई थी.
बीजापुर 2014
बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में पांच जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में सात मतदान कर्मी भी थे. हमले में सीआरपीएफ के पांच जवानों समेत एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी.
सुकमा 2014
सुकमा जिले के चिंतागुफा इलाके में एंटी-नक्सल ऑपरेशन चला रहे सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया दिया था. नक्सलियों के इस हमले में 14 शहीद हो गए थे, जबकि 12 लोग घायल हो गए थे.
झीरम घाटी हमला
नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया था, जिसमें कांग्रेस के 30 नेता व कार्यकर्ता मारे गए थे. नक्सलियों ने सबसे पहले सड़क पर ब्लास्ट किया. नक्सलियों ने काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग कर दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी मारे गए थे, जिनमें महेंद्र कर्मा भी थे.
दंतेवाड़ा हमला 2010
दंतेवाड़ा जिले के ताड़मेटला में यह हमला सुरक्षाकर्मियों पर हुआ. यह हमला देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला था. इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. सीआरपीएफ के करीब 120 जवान तलाशी अभियान चला रहे थे. तभी उन पर घात लगाकर करीब 1000 नक्सलियों हमला कर दिया था. इस हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे. जवाबी कार्रवाई में आठ नक्सली भी मारे गए थे.
राजनांदगांव 2009
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में घात लगाकर किए गए हमले में पुलिस अधीक्षक वीके चौबे सहित 29 जवान शहीद हुए.
बीजापुर 2007
बस्तर में इसके पहले भी नक्सली होली से कायराना करतूत को अंजाम दे चुके हैं. 2007 में सेना के जवानों पर नक्सलियों ने बड़ा हमला बोल दिया था. यह हमला 15 मार्च 2007 को बीजापुर में हुआ था. नक्सलियों ने रानीबोदली गांव में खौफनाक वारदात को अंजाम दिया था. इस हमले में पुलिस के 55 जवान शहीद हुए थे. ये हमला होली से चंद रोज पहले हुआ था. प्रदेश में त्योहार से पहले मातम छा गया था.
इन जिलों में भी खेली गई खून की होली
छत्तीसगढ़ के 18 जिलों में नक्सल प्रभावित हैं. इसमें दंतेवाड़ा, कांकेर, बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर में नक्सल एक्टीविटी है. इसमें से कुछ इलाके राजनांदगांव,सरगुजा, जशपुर, कोरिया और धमतरी नक्सल प्रभावित हैं. जबकि महासमुंद, बालोद, कबीरधाम, रायगढ़ और बलौदाबाजार नक्सल प्रभावित जिले हैं. गरियाबंद, सूरजपुर और बलरामपुर में नक्सली गतिविधियां ज्यादा हैं.
सुरक्षा बलों को हटाने की मांग
हाल ही में नक्सलियों ने शांति वार्ता को लेकर सशर्तों दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता के नाम से पत्र जारी किया था. इसमें तीन शर्ते रखी गई हैं, जिसमें पहला सुरक्षा बलों को हटाने, नक्सली संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने और जेलों में कैद नक्सली नेताओं को बिना शर्त रिहा करने की मांग की गई थी.
नक्सलियों के प्रस्ताव पर विचार
नक्सलियों के इस शांति प्रस्ताव पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि सरकार की भी मंशा शांति स्थापित करना है. नक्सलियों के इस प्रस्ताव पर बिल्कुल इस विचार किया जाएगा, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि क्या कदम उठाया जाएगा. ये एक दिन का मुद्ददा नहीं है. इस पर मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद आगे के कदमों को लेकर फ़ैसला लिया जाएगा.
ताबड़तोड़ कार्रवाई से नक्सलियों में बौखलाहट
बहरहाल, पुलिस और जवान नक्सलियों को खदेड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. ताबड़तोड़ कार्रवाई से नक्सलियों में बौखलाहट है. यही वजह है कि नक्सली अक्सर त्योहारी सीजन में जवानों को नुकसान पहुंचाते हैं. नक्सली बस्तर के कई इलाकों में लगातार खूनी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. चाहे जवानों को लेकर हो या फिर ग्रामीणों पर खूब कहर बरपा रहे हैं. इस खूनी खेल को रोकने की जरूरत है.
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