पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। नशा नाश की जड़ है. शराब की लत के कारण ना जाने अबतक कितने हंसते खेलते परिवार बर्बाद हो गए और ना जाने कितने लोग नशे की बलि चढ़ गए. ऐसा भी नही है कि लोगों को नशे के दुष्परिणामों की जानकारों ना हो बल्कि जानकारी के बावजूद भी नशे की लत को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.

ऐसा ही एक मामला जिले के इंदागांव में सामने आया है. गांव के उपरपारा निवासी 35 वर्षीय प्रेमलाल ध्रुव की रविवार को आकस्मिक मौत हो गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रेमलाल की अपनी बाइक पर बैठे हालत में मौत हुई है. मृतक के परिजनों से जानकारी मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पंचनामा के बाद पोस्टमार्टम के लिए मैनपुर भेजा. जहां डॉक्टरों ने शराब के अत्याधिक सेवन से मौत होना बताया.

ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, मृतक प्रेमलाल नशे का आदी था, आए दिन नशा करना उसकी आदत में शुमार था. प्रेमलाल की यह आदत दो परिवारों को गहरे जख्म दे गया. प्रेमलाल गांव के एक प्रतिष्ठित एवं सम्पन्न परिवार का सदस्य था. पिता धनीराम लंबे समय तक गांव के सरपंच रहे. 7 भाइयों में एक सरकारी नौकरी में भी है. खुद प्रेमलाल भी पढा लिखा था. मगर उसकी गलत आदत ने ना केवल उसके परिवार को आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया बल्कि प्रेमलाल को असमय मौत की निद्रा में सुला दिया.

यही नहीं प्रेमलाल की इस लत के कारण उसे अपनी पत्नी और दो मासूम बच्चों से अलग रहना पड़ रहा था. पत्नी उसकी नशे की आदत से परेशान थी और बीते कुछ समय से वह अपने बच्चों के साथ मायके चली गई थी. प्रेमलाल का ससुराल इंदागांव में ही है. प्रेमलाल के नशे की लत ने मां-बाप से उनका बेटा, एक पत्नी से उसका सुहाग और मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया. आखिरकार नशे ने दो परिवारों को आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया.

गौर करने वाली बात ये है कि ऐसा नहीं की किसी ने प्रेमलाल को समझाने की कोशिश नहीं की गई. उसके भाइयों, सगे संबंधियों और पत्नी ने अवश्य ही उसे ऐसा करने से रोका होगा. समझाइश भी दी होगी और नशे के दुष्परिणाम भी बताए होंगे मगर प्रेमलाल ने उनकी बात को अनदेखा किया और उसकी कीमत उसे अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी.

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