रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन है. कांग्रेसी विधायक अरुण वोरा ने प्रश्नकाल में हाथियों से मौत और नुकसान का मामला उठाया. इस पर वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि प्रदेश के 17 जिले हाथी के उत्पात से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि हाथियों के उत्पात में 5 सालों में 199 लोगों की मौत हुई है, वहीं 7000 घरों को नुकसान पहुंचाया गया है.

वन मंत्री ने कहा कि करीब 32 हजार 952 हेक्टेयर फसल का नुकसान हाथियों ने किया है. वहीं 39 करोड़ से ज्यादा की राशि मुआवजे के तौर पर दी गई है. वहीं कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने हाथियों के आबादी वाले इलाके में घुसने पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हाथी और जंगली सुअर रिहायशी इलाकों में घुसकर किसी को भी मनार देते हैं, लेकिन इनके नियंत्रण का कोई इंतजाम नहीं किया गया है.

धनेंद्र साहू ने सवाल किया कि सरकार हाथियों पर नियंत्रण क्यों नहीं कर पा रही है. हाथी और जंगली सुअर से लोग परेशान हैं. जंगल से बाहर जंगली जानवरों को मारने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं हो, कानून को इस तरह से संशोधित किया जाए. इस पर स्पीकर ने कहा कि इस कानून में संशोधन का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है.

इधर अरुण वोरा ने कहा कि वे अजय चंद्राकर से भयभीत रहते हैं, उन्हें चंद्राकर से बचाया जाए. इस पर सदन में हास-परिहास का दौर चला.

सरकार ने किए गए उपायों का दिया ब्योरा

हाथियों से नुकसान पर सरकार ने जवाब दिया कि प्रति एकड़ फसल के नुकसान पर 9 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. वहीं जनहानि होने पर 25 हजार रुपए से 40 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. सरकार ने कहा कि देहरादून के वन्य प्राणी संस्थान और अन्य विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है. समस्या पैदा करने वाले हाथियों को बेहोश करके चिड़ियाघर या जंगल में छोड़ा जा रहा है. वहीं हाथी राहत एवं पुनर्वास केंद्र की स्थापना की जा रही है, जहां हाथियों को रखा जा रहा है.