सुप्रिया पांडे. रायपुर की एक महिला ने एक नाबालिग को बेहतर परवरिश का हवाला देकर गोद लिया, गोद लेने के बाद वे उससे नौकरानी की तरह काम करवाने लगी. इसके बाद पीड़िता ने जब न्याय के लिए गुहार लगाई तो 2016 में उसका रेस्क्यू किया गया और पीड़िता की शिकायत सही पाई गई. जिस  मां ने उसे गोद लिया था वहां से उसे मुक्त कर लिया गया.

 लेकिन इसके बाद उक्त महिला ने पुनः छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग में शिकायत की कि नाबालिग का रेस्क्यू गलत तरीके से किया गया.  आयोग की उपसचिव ज्योति अग्रवाल ने कहा कि इस प्रकरण में आवेदिका ने स्वयं ही आवेदन लगाया था कि बाल संरक्षण इकाई ने गलत तरीके से उसकी गोद ली हुई बच्ची को वापस लिया, आयोग द्वारा जांच किए जाने पर ये बात सामने आई की महिला उस बालिका का सही तरीके से भरण पोषण नहीं कर रही थी, बालिका को स्कूल में एडमिशन कराने की बात भी महिला ने कही थी, लेकिन जिस स्कूल का नाम महिला ने लिया उस स्कूल में बच्ची का एडमिशन ही नहीं कराया गया.

2016 में टीम जब घर जाकर देखी तो पता चला कि बालिका ने फटे पुराने कपड़े पहने हुए थे, आयोग ने मामले में कलेक्टर से प्रतिवेदन मंगाया और प्रतिवेदन को सही मानते हुए कार्रवाई की, मामले को नस्तीबद्ध कर दिया.