राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के घर उजाड़ दिए गए, उनके साथ मारपीट की गई. वो भी इसलिए क्योंकि उन्हें रिश्वत में बकरा और मुर्गा चाहिए था. ये गंभीर आरोप वन विभाग के कर्मचारियों पर लगाए गए है.

पूरा मामला बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर ब्लॉक से 20 किलोमीटर दूर बैकुंठपुर गांव का बताया जा रहा है. पंडो जनजाति के लोगों के मुताबिक 20 साल पहले वे वन जमीन पर काबिज हुए और खेती कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं. काबिज करने से लेकर अब तक उनसे वन विभाग के कर्मचारी 10 बकरा और 15 से मुर्गा रिश्वत के रूप में ले चुके हैं. इस बार भी बकरा मांगा, नहीं देने पर मकान तोड़ दिया.

पंडो जनजाति के अध्यक्ष उदय पंडो ने वहां मीडिया से बातचीत में कहा है कि पंडो जनजाति के पास रिश्वत देने पैसा नहीं होते है, इसलिए वन विभाग के लोग उनसे बकरा-मुर्गा लेते हैं. इस बार मांग पूरी नहीं करने पर घर तोड़वा दिया है. इस पर पट्टा दिलाने और तोड़े गए मकानों को बनवाने और मकान तोड़ने व मारपीट करने वालों पर केस दर्ज करने मांग उन्होंने की है.

वनकर्मियों ने इन पंडो के तोड़े हैं मकान

वन कर्मचारियों ने रामवृक्ष पंडो पिता मनबोध पंडो, जगदेव पंडो पिता बिरझन पंडो, कलेश्वर पंडो पिता रामनाथ पंडो, सहदेव पंडो पिता बिरझन पंडो, हरवंश पंडो पिता जवाहिर पंडो, रामसाय पंडो पिता मंगरू पंडो, रामेश्वर पंडो पिता मोहरलाल पंडो, तेजराम पंडो पिता रामदेव पंडो, ‌प्रेम कुमार पंडो पिता बालदेव पंडो, रामप्रित पंडो पिता जवाहिर पंडो, सूरजदेव पंडो पिता रामदेव पंडो, बासदेव पंडो पिता जवाहिर पंडो, रामधनी पंडो पिता रामदेव पंडो, रघुपति पंडो पिता रामदेव पंडो, रघुवंशी पंडो पिता रामदेव पंडो, रामलाल पंडो पिता रामधनी पंडो, देवशरण पंडो पिता रामसुंदर पंडो, मानसिंह पंडो पिता मुनेश्वर पंडो, जगेश्वर पंडो पिता मोहलाल पंडो, जयनाथ पंडो पिता रायफल पंडो, देवनारायण पंडो पिता राम औतार पंडो और रामजन्म पिता रामस्वरूप का मकान और झोपडी को तोड़ दिया है.

विस्तार से समझे क्या है पूरा मामला

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति को लेकर जिले में राजनीतिक करण जमकर हो रही है. भू- माफिया इन का भी सहारा ले रहे हैं. दो गांव के पंडो जनजाति के लोगों के बीच वन भूमि को लेकर तनातनी की स्थिति निर्मित हुई. जिसके कारण वन विभाग दोनों ओर से फसी हुई दिखाई दे रही है. एक गांव के लोग वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरे गांव के लोग अतिक्रमण करते हुए वनों को छति पहुंचा रहे हैं. जिसे लेकर वन विभाग की टीम ने अतिक्रमण कर रहे लोगों को हटाया तो बात और बिगड़ गई.

दरअसल बलरामपुर जिले के वन परिक्षेत्र वाड्रफनगर के अंतर्गत ग्राम पंचायत विरेंद्रनगर के जंगल से लगा हुआ गांव बैकुठपुर, जहां के ग्रामीण विरेंद्रनगर वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिए थे. जिसकी शिकायत विरेंद्रनगर के ग्रामीण वन विभाग को लगातार कर रहे थे वहीं वन विभाग टीम बनाकर अतिक्रमण हटाने पहुंची और लोगों के झोपड़ी नुमा बनाए गए घरो को खाली कराया और बाकी को स्वतः हटाने के निर्देश दिए गए. वहीं दूसरे दिन यह मामला नया मोड़ ले लिया जिन लोगों को वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण से हटाया गया वे वन विभाग के कर्मचारियों पर मारपीट गाली गलौज का आरोप लगाते हुए पुलिस चौकी डिण्डो पहुंचे गए. पुलिस को अलग-अलग कई शिकायते दी गई.

पूरे मामले में ग्रामीणों की अलग-अलग बाते सामने आ रही है, एक ओर विरेंद्रनगर के ग्रामीण कह रहे हैं कि गांव के लोग उस वन भूमि से अपनी आर्थिक आय प्राप्त करते हैं. वहां से तेंदू पत्ता संग्रहन के साथ वनस्पति एकत्रित कर अपनी आए जरिया उस वन भूमि को मानते हैं और गांव के एक शख़्स पर षड्यंत्र का आरोप लगा रहे हैं.

दूसरी ओर बैकुठपुर के ग्रामीण कह रहे हैं कि वे 20 सालो से वहां रह रहे है हमें उस वन भूमि से जिस तरह बेदख़ल वन विभाग के द्वारा किया गया है तो और भी लोग वन भूमि पर अतिक्रमण किए हैं उन्हें भी हटाए. सारे मामले में वन विभाग ने कहा की ग्रामीण जनो के साथ जन प्रतिनिधि भी वहां मौजूद थे उनके साथ किसी भी तरह से दुर्व्यवहार नही किया गया है उसके पीछे षड्यंत्र रचा जा रहा है.

इस संबंध में जगशाय पंडो ने बताया कि जिस जंगल मे अवैध कब्जा किया जा रहा है उस जंगल में हम निस्तारी का कार्य करते है, लेकिन स्थानीय नेता रामजनम यादव द्वारा भारी मात्रा में जंगल की कटाई की गई और अब कुछ विशेष जनजाति के लोगो को आगे कर अब इस मामले में सियासत कर रहा है. जगशाय ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हम लोग किसी भी तरीके से वनों की कटाई और कब्जा नहीं होने देंगे ये हमारी संपति है.