नेहा केशरवानी,रायपुर. संपूर्ण छत्तीसगढ़ प्रदेश में छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने मांग उठ रही हैं. इसी क्रम में राजधानी रायपुर में मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी के सदस्य गण ने 2 दिवसीय पैदल यात्रा की शुरुआत की है. ये यात्रा माता कौशल्या के धाम चंदखुरी तक की जाएगी. विलुप्त हो रही महतारी भाषा के प्रति लोगों में जागरूकता लाना, बच्चों की प्रायमरी पढ़ाई, शासकीय कामकाज छत्तीसगढ़ी में हो ये यात्रा का मुख्य उद्देश्य है.

इस यात्रा में छत्तीसगढ़ी कलाकार, लोक कलाकार और साहित्य से जुड़े लोग शामिल हुए हैं. शहर के कलेक्ट्रेट चौक से छतीसगढ़ महतारी की पूजा कर पदयात्री चंदखुरी के लिए निकले हैं. बता दें कि मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी अभियान के तहत 4 अलग-अलग चरणों मे पदयात्रा की गई है.

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नंदकिशोर शुक्ल, (अगुवा, मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी) ने बताया कि संविधान की धारा 29 के तहत संस्कृति और शिक्षा संबंधित मूल अधिकार की धारा 350 (क) के तहत महतारी भाषा में शिक्षा का अधिकार दिया गया है. यूपीए सरकार के बनाए कानून शिक्षा के अधिकार 2009 में अधिकार दिया गया है. राज्य के राजभाषा के तहत महतारी भाषा में शिक्षा का अधिकार है. नया राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पांचवी कक्षा तक अनिवार्य रूप से महतारी भाषा में ही शिक्षा का अधिकार है. सभी अधिकार होने के बावजूद छत्तीसगढ़ में रहने वाले अपने महतारी भाषा में शिक्षा से वंचित है, सरकारी कामकाज से वंचित है.

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2007 में छत्तीसगढ़ी भाषा को हिंदी के साथ राजभाषा के रूप में छत्तीसगढ़ में दर्जा दिया गया. छत्तीसगढ़ी प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी कामकाज और पढ़ाई लिखाई के लिए भाषा बनाने के लिए छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का गठन भी किया गया. फिर राजभाषा बनने के 14 साल और राज्य स्थापित होने के 22 साल बाद भी छत्तीसगढ़ी ना तो सरकारी कामकाज के राजभाषा बन पाया और न हीं पढ़ाई लिखाई का, उल्टा आयोग का नाम बदलकर छत्तीसगढ़ी से छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग हो गया.

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