विनोद दुबे, रायपुर। सरकारी उपेक्षा की शिकार राजभाषा छत्तीसगढ़ी सात समंदर पार अपनी खुशबू बिखेरनी शुरु कर दी है. गुगल द्वारा छत्तीसगढ़ी में की बोर्ड बनवाने के बाद मोबाइल निर्माता कंपनियों में छत्तीसगढ़ी भाषा के जरिये प्रदेश के बाजार पर कब्जा जमाने की होड़ मची हुई है. विश्व की नंबर 1 फोन निर्माता कंपनी एप्पल भी छत्तीसगढ़ में पैर पसारने की कवायद शुरु कर दी है. विश्व की कई भाषाओं के बाद एप्पल ने अपने आईफोन में छत्तीसगढ़ी भाषा का विकल्प देने जा रही है. जिसके लिए एप्पल अपना की बोर्ड तैयार करवा रहा है.

एप्पल ने इसके लिए प्रदेश की एक ऐसी संस्था को चुना है जो लंबे समय से छत्तीसगढ़ी भाषा पर ही काम कर रही है. उस संस्था को एप्पल ने छत्तीसगढ़ी शब्द की डिक्शनरी तैयार करने का एक बड़ा काम सौंपा है. जिसके बाद विश्व के सबसे महंगे फोन में छत्तीसगढ़ी भाषा भी एक विकल्प के रुप में उपलब्ध होगी. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की आबादी ढाई करोड़ से ज्यादा है और यहां हर व्यक्ति अपने पास औसतन दो फोन जरुर रखता है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में आईफोन समेत महंगे सेगमेंट के मोबाइल फोन की बिक्री भी अच्छी खासी है. जिसकी वजह से यह माना जा रहा है कि स्थानीय भाषा का विकल्प देने के बाद मोबाइल फोन की बिक्री बढ़ जाएगी और लोगों को स्थानीय भाषा में चैट करने मिल जाएगा.

गौरतलब है कि प्रदेश के निर्माण के साथ ही छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. राज्य निर्माण के 11 वर्ष बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा के रुप में सम्मान तो मिल गया. लेकिन राजनीतिक इच्छा कमी की वजह से इस भाषा को वह सही सम्मान आज तक नहीं मिल पाया. न तो इस भाषा को संविधान की आठवीं सूची में स्थान मिल पाया और न ही इसे सरकारी काम-काज और प्राथमिक शिक्षा का माध्यम ही बना पाए. हालांकि विश्व बाजार के बाद सामाजिक उत्थान का कार्य करने वाले अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ भी यह समझ चुका है कि स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करके और भी बेहतर तरीके से जनहित व सामाजिक कार्य किये जा सकते हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि प्रदेश सरकार कब इस बात को समझेगी.

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